उत्तराखंड आबकारी नीति में बेरोजगारों की उपेक्षा !
दो साल के लिए शराब दुकानों का आवंटन तथा आवेदन प्रकिया शुल्क पचास हजार।
उत्तराखंड आबकारी नीति में बेरोजगारों की उपेक्षा !
दो साल के लिए शराब दुकानों का आवंटन तथा आवेदन प्रकिया शुल्क पचास हजार।
— भूपत सिंह बिष्ट
युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए देर सबेर आबकारी विभाग को कमर कसनी पड़ेगी। पूरे प्रदेश में हजारों बेरोजगार युवा चाहें तो बार रेस्ट्रां खोलकर आत्मनिर्भर हो सकते हैं। उत्तराखंड सरकार पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एक दो जनपद में यह परियोजना लागू कर सकती है।
अभी उत्तराखंड के तेरह जनपदों का शराब कारोबार मुठ्ठी भर लोगों के हाथ में है और हजारों करोड़ राजस्व वाले इस शराब के धंधे में सरकार आसानी से अधिकाधिक युवाओं को हिस्सेदारी दे सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी अनेक बार कह चुके हैं कि सरकार का काम बिजनेस करने का नहीं है। सो अनेक रणनीतिक विभागों के अलावा रेल, हवाई जहाज, समुद्री पोर्ट और सड़क आदि को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल दिया गया है।
इस वर्ष आबकारी विभाग उत्तराखंड ने 3202 करोड़ राजस्व का लक्ष्य तय किया है और कोरोना महामारी के बावजूद पांच माह में अगस्त तक 1034 करोड़ संग्रह कर लिया गया है।
प्रदेश में देशी, विदेशी और बियर की कुल 558 दुकानें हैं। होटल, रेस्ट्रां, और क्लब बार की संख्या प्रदेश में 252 के करीब हैं।
बेरोजगार युवाओं के लिए रेस्ट्रां बार स्वरोजगार के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है – टूरिज्म आधारित राज्यों में इस की पर्याप्त संभावनायें हैं।
शराब व्यवसायी इस धंधे में युवाओं को नहीं आने देना चाहते हैं – भले ही पालिसी में दो करोड़ तक की दुकानें जनपद से बाहर के नागरिक को आवंटित नहीं होनी है या एक व्यक्ति प्रदेश में दो से अधिक दुकान नहीं ले सकता है।
शराब और बियर की फुटकर दुकानों के लिए आनलाइन आवेदन करना होता है और प्रक्रिया शुल्क के नाम पर पचास हजार रूपये शुल्क नान रिफंडबल देना है।
मदिरा दुकान के प्रतिवर्ष के राजस्व का दस प्रतिशत हैसियत प्रमाणपत्र जी – 39 प्रपत्र पर देना पड़ता है यानि अगर दो करोड़ राजस्व वाली दुकान के लिए बीस लाख की हैसियत होनी जरूरी है। यदि इस मूल्य की संपत्ति ना हो तो रिश्तेदारों की संपत्ति बंधक या इस मूल्य की एफडी जमा करानी है।
आवेदन के साथ 2.5 प्रतिशत राजस्व का ड्राफ्ट जमा कराना अनिवार्य है। इस के साथ आवेदक के पास पैन कार्ड और आधार कार्ड भी होना चाहिए। आबकारी नीति में बेरोजगार युवाओं के लिए आमूल चूल परिवर्तन की अपेक्षा है।
– भूपत सिंह बिष्ट