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प्रमुख गढ़वाली लोकगीतकार नरेंद्र सिंह नेगी ने  शानदार 75 वसंत पूरे किए !

मुख्यमंत्री, अधिकारी, शिक्षाविद और प्रशंसकों ने जन्मवार पर किया  नेगी दा के गीतों का गुणगान। 

प्रमुख गढ़वाली लोकगीतकार नरेंद्र सिंह नेगी ने  शानदार 75 वसंत पूरे किए !

मुख्यमंत्री, अधिकारी , शिक्षाविद और प्रशंसकों ने जन्मवार पर किया  नेगी दा के गीतों का गुणगान। 

 

गढ़वाल की पीड़ा अपने गीतों में उकेरने में हमेशा सफल गढ़वाली लोकगीतकार नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने 

शानदार जीवन के 75 वसंत पूरे कर लिए हैं। 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बधाई देने पहुंचे और नरेंद्र सिंह नेगी के लोकगीतों की 

भूरी -भूरी प्रशंसा की। 

चार घन्टे से अधिक चले विशेष कार्यक्रम में चीफ सेक्रेटरी श्रीमती राधा रतूड़ी , अनिल रतूड़ी पूर्व डीजीपी ,

श्रीमती सुरेखा डंगवाल उपकुलपति दून यूनिवर्सिटी, ललित मोहन रयाल वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और

लेखक और विद्वत जनों के बीच  लोकगीतकार नरेंद्र सिंह नेगी मंच पर मौजूद रहे।

नरेंद्र सिंह नेगी के 101 लोकगीतों के संकलन और समीक्षा युक्त  ललित मोहन रयाल की पुस्तक –

कल फिर जब सुबह होगी का भव्य विमोचन हुआ। 

नरेंद्र सिंह नेगी के लोकगीतों को ऑर्केस्ट्रा के साथ कार्यक्रम  के  बीच में गायकों ने प्रस्तुत किया।

जन्म दिन की हीरक जयंती और लोकगीतों की रचना की स्वर्ण जयंती के अपूर्व अवसर पर

नरेंद्र सिंह नेगी जी के योगदान को विद्वानों ने अपने भाषण में साहित्य का अलौकिक अध्याय कहा  और

लोकगीतों को वैश्विक फलक की उपलब्धि बताया।

वहीं बृज क्षेत्र के एक प्रशंसक ने नरेंद्र सिंह नेगी का गढ़वाली गीत सुनाया और अपना मौसेरा भाई बताकर

बृज और गढ़वाली लोकभाषा में सहज संपर्क सूत्र स्थापित किया।

गढ़वाली लोकगीतों के महारथी नरेंद्र सिंह नेगी का देशकाल अब बदलता जा रहा है सो परिस्थितयों

के रूपांतरण से अब उन भाव और शब्दों में कालजयी लोकगीतों का दोहराव नामुमकिन है। 

आधुनिक परिवेश और उपभोक्तावाद ने आंचलिक जीवन को नगर – महानगर की संस्कृति से

ढांप दिया है। इस आयोजन में चिंता प्रकट हुई यदि गॉंव नहीं बचे तो लोकगीत कैसे अक्षुण रहेंगे। 

 

आयोजकों ने ढाई लाख रुपए का नरेंद्र सिंह नेगी वार्षिक लोकसंस्कृति पुरस्कार की घोषणा की और पहला

पुरस्कार नेगी जी को ही भेंट कर दिया।

मुख्यमंत्री धामी के अनुरोध पर नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने दो लोकप्रिय गीत दर्शकों के लिए प्रस्तुत किये।

राजनेताओं पर भ्रष्ट आचरण के  अपने व्यंग्य लोकगीत लिखने का खामयाजा भी  नेगी जी को

उठाना पड़ा है। 

अब तक नरेंद्र सिंह नेगी जी को पदम पुरस्कार से वंचित रखा गया है। भले ही परदेश में निरंतर 

अनुपम गढ़वाली लोकगीत -संगीत के लिए नरेंद्र सिंह नेगी जी सम्मानित हो रहें हैं। 

  • भूपत सिंह बिष्ट

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