गणेश गोदियाल बने अब गढ़वाली भाषा के ब्रांड एंबेसडर !
गढ़वाल लोकसभा चुनाव में गणेश गोदियाल ने 9 हजार शराब की पेटियां बरामद होने पर सवाल उठाये।
गणेश गोदियाल बने अब गढ़वाली भाषा के ब्रांड एंबेसडर !
गढ़वाल लोकसभा चुनाव में गणेश गोदियाल ने 9 हजार शराब की पेटियां बरामद होने पर सवाल उठाये।
लोकसभा चुनाव के इस मौसम में उत्तराखंड के पौड़ी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी
गणेश गोदियाल लोकभाषा के ब्रांड एंबेसडर का कीर्त्तिमान बना चुके हैं।
अपने पहाड़ी समाज से सीधे संवाद के लिए गोदियाल ने अनूठी पहल की है और
गढ़वाली लोकभाषा आंदोलन चला रहे सुधी जनों को उनका आभार व्यक्त
करना पड़ रहा है।
पूरे उत्तराखंड में आज गणेश गोदियाल एकमात्र राजनेता हैं जो अपने भाषण में
99 फीसद अपनी मातृभाषा का उपयोग अपने संबोधन में कर रहे हैं।
इन दिनों में कुमाऊं की चुनावी रैलियों में शुरुआती संबोधन कुमाऊनी में सुनने को
जरूर मिला लेकिन भाषण का ज्यादातर हिस्सा आगे हिंदी से ही पटा रहा ।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस चुनाव में
हिमालयी राज्य उत्तराखंड में एक बड़ी लकीर खींची है।
गढ़वाली कुमाऊनी को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के
लिए अनेक स्तरों पर संगठन और लोग मांग उठाते रहे हैं।
कई लोगों ने गढ़वाली मातृभाषा के लिए खुद को समर्पित किया और बाकायदा
उसकी कीमत भी अदा की किंतु आज राजनीतिक क्षेत्र में गढ़वाल लोकसभा प्रत्याशी
गणेश गोदियाल पहले व्यक्ति साबित हो रहे हैं – जिनका पूरा भाषण गढ़वाली में
होता हैं । आम जनता उन की लाड से भरी गढ़वाली से बखूबी जुड़ रहे हैं।
मातृभाषा में उन की सम्प्रेषणीयता के सब मुरीद नज़र आते हैं।
अन्यथा भीषण गर्मी में कौन बिना छाता लिए किसी नेता को सुनने के लिए कौन
अधीर सड़क पर ठहरता है।
दुर्गम इलाकों में गणेश गोदियाल की सभाओं में गढ़वाली का जादू सर
चढ़ता जा रहा है।
गणेश एक माहिर कलाकार की तरह पर्वतीय महिलाओं और बुजर्गों के बीच
ठेठ मुहावरे और व्यंग्य से अपनी बात कहते हैं।
पहाड़ की बेटी अंकिता भंडारी का मामला हो या चार साल की नौकरी वाला अग्निवीर,
विवाह और भविष्य के लिए प्रताड़ित युवाओं की पीड़ा पर
सेना बहुल गढ़वाल में मार्मिक संवाद होता है।
यह आम नजारा है कि लोग उन्हें शिद्दत से न सिर्फ सुन रहे हैं बल्कि उनके लिए
धूप प्यास भी बर्दाश्त कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि वे भाषा आंदोलन चला रहे हैं
बल्कि विशुद्ध रूप से आम नागरिकों के साथ राजनीतिक संवाद कर रहे हैं।
एक राजनेता के प्रयास से सहसा लोकभाषा गढ़वाली विमर्श के केंद्र में
आ गई है और अब इसे चुनाव तक सीमित नहीं कर सकते हैं।
गणेश गोदियाल जिस तरह धाराप्रवाह रूप से गढ़वाली में लोगों को
संबोधित करते हैं – उससे गढ़वाली भाषा की ताकत न सिर्फ सिद्ध होती है बल्कि
आम लोगों से जुड़ाव की सार्थकता भी सिद्ध करती है।
1980 के दशक में इस तरह का संबोधन हेमवती नंदन बहुगुणा के
भाषणों में दिखता था। वे अपने लोगों से जुड़ने के लिए शुरुआती संबोधन गढ़वाली में ही
करते थे और लोगों से लगाव बनाने के लिए कहा करते थे
कि ” मैं तुम्हारू ही कल्या छौ”।
उनकी लोकलुभावन बातों के वश में आकर लोग उनकी तरफ पूरे
सत्ता प्रतिष्ठान से दूरी बना कर भी जुड़ जाते थे।
प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनावों संबोधन की शुरुआत गढ़वाली या कुमाऊनी शब्दों से
करते रहे हैं लेकिन उनके संबोधन में स्वाभाविकता नहीं बल्कि एक तरह से
इमला ही झलकती है।
किसी भी लोक भाषा की संप्रेषणणीयता उसकी मजबूती का आधार
मानी जाती है। आज तक के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि
अधिकांश राजनेताओं ने अपनी बोली भाषा के महत्व को अधिकतर नकारा है।
गणेश गोदियाल की नई शुरूआत ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में नई परंपरा का
आह्वान कर दिया है।अपनी लोक भाषा में बात करने वालों की झिझक और झेंप को
दूर करने का अतुलनीय काम इस चुनाव में हुआ है।
लोकभाषा का शब्द भंडार यकायक सोशल मीडिया में इठला रहा है।
अब स्टार प्रचारक शहरी बाबू नहीं अपनी लोकभाषा में संवाद अदायगी करने वाला
अनिवार्य हो रहा है।
अब गणेश गोदियाल पहले राजनेता बन चुके हैं – जिनका गढ़वाली शब्द भंडार
दूसरे नेताओं के लिए ईर्ष्या का पर्याय है।
अब उत्तराखंड विधानसभा और सार्वजनिक मंचों पर उनसे बड़ी लकीर
खींचने की नेताओं में होड़ लगने वाली है।
फिलहाल पूर्व विधायक गढ़वाली भाषा आंदोलन के ध्वज वाहक के रूप में गिने जा
रहे हैं। जिस दिन तरह से वे चुनावी संपर्क में गढ़वाल के कस्बों और सड़कों में लोगों के साथ
अपनी भाषा की सहज कड़ी जोड़ते हैं – ये अपूर्व और लाजवाब है।
गणेश गोदियाल का गढ़वाली व्यंग्य लोगों को खूब भा रहा है –
“बुढ़या मांगणु एक मौका हौर,
ज्वानु तैं बुनू तुम जावा सूखा घौर”।
ये सिर्फ चुनावी मुहावरे नहीं बल्कि लोक भाषा की ताकत है। ऐसे में गढ़वाल लोकसभा प्रत्याशी
गणेश गोदियाल आज गढ़वाली के बड़े ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी उभरे हैं।
सतपुली के करीब शराब की बंद फैक्ट्री में चुनाव के दौरान 9 हजार शराब की पेटियां
बरामद होने से कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने निर्वाचन आयोग और प्रशासन से
शिकायत दर्ज करायी है। अब फैक्ट्री को सील कर गारद नियुक्त की गई है ताकि चुनाव के
दौरान शराब की अवैध सप्लाई न हो सके।
– दिनेश शास्त्री सेमवाल, वरिष्ठ पत्रकार।