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गढ़वाल लोकसभा सीट पर गणेश गोदियाल जीत का समीकरण !

बीजेपी के गढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव से 85 हजार वोट ज्यादा लाने पर लोकसभा का सूखा हट जायेगा।

गढ़वाल लोकसभा सीट पर गणेश गोदियाल जीत के समीकरण !
बीजेपी के गढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव से 85 हजार वोट ज्यादा लाने पर लोकसभा का सूखा हट जायेगा।

उत्तराखंड राज्य की गढ़वाल लोकसभा सीट कई मायनों में खास बनी हुई है। इस का

प्रतिनिधित्व करने वाली विभूतियां सादगी के पर्याय भक्त दर्शन सिंह रावत, तेजतर्रार चंद्रमोहन सिंह नेगी,

हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा अब कालकलवित हो चुके हैं।

राजनीति से सन्यास ले चुके सेवानिवृत्त मेजर जनरल भुवन चंद खंडूडी, वर्तमान प्रदेश में

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज से लेकर बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत 17 वीं लोकसभा में

गढ़वाल लोकसभा सीट पर निर्वाचित हुए हैं।

गढ़वाल लोकसभा सीट की 14 विधानसभाओं में 2- देवप्रयाग और नरेंद्र नगर टिहरी जनपद में,

नैनीताल जनपद की रामनगर , कोटद्वार से बदरीनाथ और गैरसैण तक 9 विधानसभायें तथा

रूद्रप्रयाग जनपद में रूद्रप्रयाग और केदारनाथ 2- विधानसभायें दुर्गम मंदाकिनी नदी के

उदगम तक अपना फैलाव लिए हैं।

यानि नैनीताल जनपद के रामनगर से टिहरी जिले के नरेंद्र नगर तक ,

हरिद्वार – ऋषिकेश में गंगा पार से बदरीनाथ और सीमांत गांवों के पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग

और सीमांत चमोली जनपद के ग्रामीण इलाकों के वोटरों तक संपर्क साधना

एवरेस्ट चढ़ने से कम नहीं है।

विकसित भारत बनने के लिए इस लोकसभा के दुर्गम गांवों तक मोटर मार्ग

बनने अभी शेष कार्य हैं।

18 वीं लोकसभा के लिए बीजेपी ने क्षेत्र को भली भांति नाप चुके तीरथ सिंह रावत को

बदलकर अब दिल्ली की राजनीति में चर्चित चेहरे राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी

पर दाव खेला है।

अनिल बलूनी निवर्तमान राज्यसभा सांसद हैं और अब गढ़वाल लोकसभा के लिए विकास की

सक्रिय राजनीति करने वाले हैं।

आम जनमानस में संशय है – गढ़वाल कमिश्नर हो या सांसद – विधायक उनका पलायन देहरादून में

सुविधा बटोरने के लिए सहज होता है। ऐसे में जिनके पास पहले से दिल्ली में आशियाना हो

– उन्हें गढ़वाल कैसे रोक पायेगा।

बीजेपी ने अपने दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट भी

बदला है – गढ़वाल के धुरंधर नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर करने के

पीछे गहरी सोच लगती है।

गढ़वाल लोकसभा में दूसरे नंबर पर खड़ी कांग्रेस पिछले दो दशक से नेतृत्व का टोटा

झेल रही है। इस बार अनिल बलूनी बीजेपी के मुकाबिल कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष

गणेश गोदियाल को टक्कर में उतारा है। गणेश गोदियाल चतुर नेता की तरह मैदान में डटे हैं।

वोटरों से अब तक खाते में 25 लाख का चंदा भी मिल चुका है।

बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में गढ़वाल लोकसभा की 14 में से 13 सीट जीती हैं।

एक मात्र विधायक बदरीनाथ से राजेंद्र भंडारी जीते थे और अब वो भी विधायकी से इस्तीफा

देकर बीजेपी के काफिले में शामिल हो गए हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़वाल सांसद जनरल बी सी खंडूडी के

पुत्र मनीष खंडूडी अचानक कांग्रेस के प्रत्याशी बनकर उतरे लेकिन मतदाताओं ने उनके

दल बदल को नकार दिया ।

 

मनीष खंडूडी और कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। बीजेपी ने गढ़वाल लोकसभा सीट 3 लाख से

ज्यादा वोटों से जीती। बीजेपी के तीरथ सिंह रावत को पोलिंग का 67.78 प्रतिशत और मनीष खंडूडी को

मात्र 27.31 प्रतिशत वोट मिला था। सभी 14 विधानसभाओं में कांग्रेस की करारी हार हुई।

मनीष खंडूडी चुनाव प्रचार से पहले बीजेपी को अंकिता भंडारी हत्याकांड, चमोली करंट हादसा,

मंहगाई, बेरोजगारी, सेना की अग्निवीर योजना, सिलक्यारा टनल और जोशीमठ धंसाव के मुद्दे पर

घेरे हुए थे और कांग्रेस हाईकमान तक पैठ बनाये हुए नज़र आते थे – अब खंडूडी बीजेपी

ज्वाइन कर चुके हैं।

2019 गढ़वाल लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बढ़त 3 लाख 2 हजार 669 से

अधिक थी।
किंतु 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बढ़त घटकर 85 हजार 090

तक सिमट चुकी है।

रामनगर, कोटद्वार, श्रीनगर, नरेंद्रनगर, देवप्रयाग विधानसभाओं में बीजेपी की बढ़त

कांग्रेस पर 8 प्रतिशत से भी कम रही है।
बदरीनाथ सीट कांग्रेस ने 3 फीसदी के अंतर से जीती है।

चौबट्टाखाल, लैंसडाउन और यमकेश्वर बीजेपी के गढ़ बने हुए हैं और यहां जीत का

अंतर 27 फीसदी बना हुआ है।

मृदुभाषी व शालीन गणेश गोदियाल श्रीनगर विधानसभा में रमेश पोखरियाल निशंक और

धन सिंह रावत को शिकस्त दे चुके हैं। इस बार महिला वोटरों को साधना जीत का

सरल समीकरण है।

महिलाओं तथा युवाओं में सत्ता विरोधी लहर बनी तो कांग्रेस गढ़वाल लोकसभा सीट पर

अपना सूखा समाप्त कर सकती है। विधानसभा चुनाव से 12 फीसदी और अधिक

वोट बटोरने हैं।

मोदी सरकार तीसरी बार के लिए बीजेपी स्टार प्रचारकों की अपनी बिसात बिछाकर

कांग्रेस को घेर रही है। उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों के लिए प्रधानमंत्री मोदी का दूसरा दौरा

11 अप्रैल को ऋषिकेश में प्रस्तावित है।
पदचिह्न टाइम्स।

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