नशेड़ी छात्रा की हत्या का रहस्य सुलझाती गढ़वाली फिल्म अजाण !
उत्तराखंड का प्राकृतिक वैभव, ड्रोन कैमरे का कमाल, राम नेगी और बलराज नेगी का अभिनय।
समीक्षा : नशेड़ी छात्रा की हत्या का रहस्य सुलझाती गढ़वाली फिल्म अजाण !
उत्तराखंड का प्राकृतिक वैभव, ड्रोन कैमरे का कमाल, राम नेगी और बलराज नेगी का अभिनय।
गढ़वाली फिल्म अजाण, ड्रग में डूबी छात्रा की हत्या से शुरू होती है।
पांच दिन में आई बी के सीनियर पुलिस अधीक्षक राम नेगी को इस हत्याकांड
खोलने की कड़ी चुनौती है।
गांव प्रधान बलराज नेगी अपने गांव के शराबी युवाओं को हत्या व रेप के मामले
से छुड़ाने की जद्दोजहद में हैं।
भगवती गाँव में देवी पूजा में प्रीतम भरतवाण और गढ़वाल की महिमा का गीत
नरेंद्र सिंह नेगी ने गाया है। दो अन्य गीत ढाई घंटे की थ्रिलर फिल्म को
आगे बढ़ाने में मददगार हैं।
आशा फिल्म एवं टेलीविजन के बैनर तले बनी निर्माता और अभिनेता राम नेगी की
पहली अपराध कथा अजाण को उत्तराखंड फिल्म बोर्ड से मदद मिली है।
अनुभवी अनुज जोशी फिल्म के लेखक और निर्देशक हैं। पहली गढ़वाली अपराध थ्रिलर
के कई दृश्य लंबे होने से दर्शकों में भटकाव पैदा करते हैं। अजाण फीचर फिल्म से परे
कई बार नाटक और टेली सीरियल के भाव जगाती है।
कर्णप्रयाग पुलिस थानेदार का किरदार रमेश रावत और आई बी – एसपी, आईपीएस अधिकारी
राम नेगी के बीच संवाद अविश्वसनीय हैं।
देहरादून कालेज छात्रावास की नशेड़ी छात्रा का सुदूर कर्णप्रयाग ड्रग लेने
पहुंचना, सहारनपुर के विधर्मी अपराधी देवप्रयाग, रूद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग में बेखौफ
अड्डेबाजी, ड्रग , शराब और कीड़ाजड़ी के ऐंगल, पांच सौ रूपये के लिए छात्रा का
शराबी ट्रेकर ड्राइवर से झगड़ा, कर्णप्रयाग बीच बाजार में युवा लड़की की बदहवास
दौड़ से अजान लोग, गांव के पांडाल के पीछे शराबखोरी और कर्णप्रयाग से
अपहृत लड़की की हत्या और लाश गांव के पास ठिकाने लगाने वाले
अपराधी तो अंत तक अजान रह गए।
पीछा करती गाड़ियों के दृश्य भले ही लंबे और थ्रिल की जगह बोझिल बने हैं
लेकिन चार गाड़ी में आए गुंडे हीरो की एक लात खाकर भाग जाते हैं।
माफिया के साथ तहखाने का दृश्य भी ज्यादा नाटकीय हैं। बीच बाजार में हीरो पर
गोलीकांड भी गढ़वाली समाज की समझ से परे है। ऐसे में फाइट मास्टर की बड़ी
कमी बड़ी खलती है।
हीरो के साथ हास्य पैदा करने वाला सहयोगी चरित्र बहुत लाउड है और
कई गंभीर दृश्यों में हलकापन लाता है।
ढाई घंटे की भागम – भाग के बीच पहाड़ की पृष्ठभूमि, नदी, गीत, संगीत और नृत्य
काफी शकून भरे हैं।
अनुज जोशी की अजाण फिल्मी पटकथा में और अधिक शोध की कमी रह गई।
गांव की एकता और अपराध के खिलाफ सामाजिक संदेश तो बिलकुल
साफ है। अक्षम पुलिस, मनीआर्डर खाने वाले डाकिया और ड्रग सिंडिकेट के खिलाफ
नेता और उच्च पुलिस अधिकारियों की चुप्पी छोटे पहाड़ी राज्य की सही स्थिति बयाँ
नहीं कर पाती है।
हाल ही में दून लाइब्रेरी में प्रदर्शित नेपाली फीचर फिल्म ” छक्का – पंजा ” वर्ष 2018 में
बनी शानदार और सफल उच्च स्तरीय आंचलिक फिल्म है।
छक्का – पंजा प्रोडक्शन की चार क्रमश: अन्य फिल्में कई सौ करोड़ का बिजनेश कर
नेपाली फिल्म उद्योग और कलाकारों को समृद्ध बना चुकी हैं।
दक्षिण भारत की फिल्में भी उत्तराखंड में केदारनाथ और एफआरआई देहरादून
जैसे स्थलों को लेकर कामयाब साबित हुई हैं।
इस का श्रेय शोधपूर्ण पटकथा और कुशल संपादन को जाता है।
घरजवैं की रिकार्ड सफलता के पीछे गीत – संगीत, कुशल तकनीशियनों का
शिल्प है और पिछले चार दशक से बलराज नेगी की इस गढ़वाली फिल्म के
करीब तक कोई पंहुच नहीं पाया है।
भले ही आज गढ़वाली और कुमांऊ मूल के फिल्मकार बालीवुड और टालीवुड में
सम्मानजनक स्थान पा चुके हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट