जमाराशि पर गिरती ब्याज दर और सिनीयर सिटीजन की सुविधाओं पर सरकार गंभीर नहीं – कल्याण दास खेड़ा !
बैंको के विलय के बाद स्टाफ वेलफेयर फण्ड में जमा राशि का विलय नहीं करना, सरकार की नियत पर शंका पैदा करता है।
भारतीय बैंकिंग इंडस्ट्री के चार दशक से आधार स्तंभ रहे कल्याण दास खेड़ा ( K D KHEDA ) ने आव्हान किया कि रिटायर्ड साथियो को अपने बैंक के बारे में भी निरंतर सोचना है तथा बैंक की बेहतरी के लिए के लिए हर संभव कार्य करने हैं।
रिटायर्ड साथियो को बैंक हित में निरंतर अच्छे सुझाव देकर शाखाव ग्राहक सेवा में बेहतर तालमेल हेतु सक्रिय रहना चाहिए।
केडी खेड़ा ने अपने ऊर्जावान भाषण में सभी ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार रखे और प्रगति से सदन को अवगत कराया।
पेंशन पुनर्निधारण के मामले में कहा कि हमने काफी सोच विचार कर भारतीय रिज़र्व बैंक के समान ही पेंशन के अपडेशन की मांग की है – जिसके लिए संघर्ष जारी है।
हम उम्मीद करते है की आईबीए इस मामले को जल्द सुलझाने हेतु आगे आएगा । केडी खेड़ा ने स्वास्थय बीमा की विसंगतियों पर भी सदन का ध्यान खींचा तथा स्पष्ट रूप से कहा की यदि इसमें सुधार नहीं होता है तो हम कोर्ट जा सकते है।
इसके अलावा जमा राशियों पर लगातार गिरती ब्याज दरे व सीनियर सिटीजन को दिए जाने वाले अतिरिक्त ब्याज में कमी पर भी चिंता व्यक्त की।
उन्होंने बैंको के विलय के बाद स्टाफ वेलफेयर फण्ड में जमा राशि का विलय नहीं करने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया।
अंत में केडी खेड़ा ने जोर दे कर कहा कि लंबित मामलों पर सभी सेवा निवृत कर्मचारियों की सहमति आवश्यक है – तभी हम एकसाथ मिलकर बैंक प्रबंधन से लड़ाई जीत सकते हैं।
पदचिह्न टाइम्स।