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हिमाचल में संपन्न हुआ एक दुल्हन दो पति विवाह – जोड़ीदारा !

सिलाई में तीन दिन तक रही शादी की धूमधाम और पारम्परिक नाच ,गान और दावतों का दौर। 

हिमाचल में संपन्न हुआ एक दुल्हन दो पति विवाह – जोड़ीदारा !

सिलाई में तीन दिन तक रही शादी की धूमधाम और पारम्परिक नाच ,गान और दावतों का दौर।

हिमाचल प्रदेश के जनजाति क्षेत्र सिरमौर के सिलाई क्षेत्र में जोड़ीदारा विवाह परम्परा के अनुसार वधु 

सुनीता ने अपने दो वर – प्रदीप और कपिल के साथ धूमधाम से शादी रचाई। 

हिमालय क्षेत्र में बसने वाली जनजातियों में बहुविवाह की परंपरा सदियों से चली आ रही है। अपनी अनोखी 

परंपरा और रीति रिवाजों के कारण इन्हें जनजाति का दर्जा प्राप्त है। 

आधुनिकता के साथ पुरानी परम्परायें ढ़ीली पड़ती जा रहीं हैं लेकिन सुनीता चौहान ने प्रदीप नेगी और कपिल नेगी 

से एक साथ विवाह रच कर विकसित भारत में नया कीर्ति मान बनाया है। दोनों परिवार जनजाति बिरादरी से हैं और 

न्याय सहिंता की धारा 494 और 495 के अनुरूप इस विवाह के हकदार भी हैं। 

सुनीता चौहान ने बिना किसी दबाव में आये अपनी परंपरा का सम्मान किया है।  उनके एक पति प्रदीप नेगी हिमाचल 

सरकारी सेवा में हैं और दूसरे कपिल नेगी विदेश में सेवारत हैं। शादी की रौनक  , नाच – गान और दावत का सिलसिला 

तीन दिन समाज में प्रफुल्लित रहा।

हिमाचल के राजस्व और बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी किन्नौर से विधायक हैं और हजारों साल पुरानी इस 

जोड़ीदार विवाह परंपरा को जनजाति समाज की विशिष्ट पहचान  मानते हैं। 

सिलाई के विधायक और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन कहते हैं – उनके सिलाई क्षेत्र में शायद ही कोई घर होगा जहाँ जोड़ीदार 

विवाह प्रथा न हो। 

हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार  हिमालय में बहुपति विवाह प्रथा सामाजिक – आर्थिक परिदृश्य पर 

शोध डॉक्ट्रेट कर चुके हैं। हिमाचल में बहुपति प्रथा का प्रचार नहीं किया जाता लेकिन जमीन का बटवारा रोकने ,

प्रेम – भाईचारा बढ़ाने और आर्थिक सुरक्षा के लिए जनजाति क्षेत्रों में इसका प्रचलन बना हुआ है। 

हिमाचल में किन्नौर , सिरमौर और उत्तराखंड में जौनसार में यदाकदा अब बहुपति प्रथा के मामले सुनाई पड़ते हैं। 

महाभारत काल से अपने को जोड़ने वाली हिमालय की जनजातियों में अर्से बाद यह विवाह चर्चा में आया है। 

  • भूपत सिंह बिष्ट। 

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