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कहानी तालिबान -2,तो अमेरिका ने दिलायी तालिबान को सत्ता !

राष्ट्रपति जो बायडेन - अफगानी सेना की जगह अमेरिकन क्यूं लड़े !

तो अमेरिका ने दिलायी तालिबान को सत्ता !

राष्ट्रपति जो बायडेन – अफगानी सेना की जगह अमेरिकन क्यूं लड़े !
— भूपत सिंह बिष्ट
लगातार तीसरे दशक में अमेरिकी फौज को पराये मुल्क में लड़ने के लिए नहीं झौंक सकता, मैं हर आलोचना सुनने और सहने को तैयार हूं – अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा बिना लड़े सत्ता हासिल करने और अशरफ गनी के काबुल से भाग जाने पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है।

अमेरिका नहीं चाहता कि अफगानिस्तान सेना की जगह उस के नागरिक युद्ध भूमि में तालिबान की गोली खाने के लिए हमेशा आगे रहें।
पिछले बीस सालों से अमेरिका ने भारी आर्थिक निवेश और सेना को अफगानिस्तान सरकार की सुरक्षा में लगाया है।
डोनाल्ड ट्रम्प के पराजित होने के बाद नए राष्ट्रपति अब पिछली सरकार की नीतियों को ढोना नहीं चाहते हैं।

बायडेन ने स्वीकार किया है कि या तो अपनी सेना को चरणबद्ध वापस लाना है या हजारों सैनिकों को दुबारा काबुल की रक्षा में भेजना है और मैं अपने पूर्व के निर्णय पर अडिग हूं — बीस साल लड़ने के बाद अब अमेरिकी सेना को सुरक्षित निकालना जरूरी है।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों अमेरिकी हवाई जहाज में शरण पाने के लिए काबुल हवाई अड्डे के रनवे पर दौड़ती भीड़ और आकाश से गिरते लोग के वीडियो अमेरिका के लिए अपयश बन रहे हैं। काबुल हवाई अड्डे पर अमेरिकी और साथी सेना का नियंत्रण है।

अमेरिका के 78 वर्षीय राष्ट्रपति जो बायडेन मात्र 29 साल की उम्र में अमेरिकी सिनेट के सदस्य चुने गए।
अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति इस से पूर्व अमेरिका के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। एक सर्वे के अनुसार 55 प्रतिशत नागरिकों ने अफगानिस्तान से सेना वापसी पर अब तक राष्ट्रपति बायडन का समर्थन कर दिया है।

पिछले बीस सालों से अमेरिका का साथ निभा रहे अफगानी अब तालिबान से जान बचाने के लिए अमेरिकी शरण में आना चाहते हैं।
दूसरी ओर डिप्लोमेट मानते हैं कि पाकिस्तान और पैसे के दम पर अमेरिका आसानी से तालिबान को कभी भी पालतु बना सकता है और एक रणनीति के तहद सत्ता का हस्तांतरण हुआ है।
— भूपत सिंह बिष्ट।

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