आजादी का अमृत महोत्सव बेल – जेल के विवाद में विचाराधीन कैदी !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की शीघ्र रिहाई की पैरवी।
आजादी का अमृत महोत्सव बेल – जेल के विवाद में विचाराधीन कैदी !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की शीघ्र रिहाई की पैरवी।
राजधानी दिल्ली में संपन्न जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की चिंता का समर्थन किया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमण ने लोकतंत्र में सुलभ न्याय को समाज का प्रमुख उपकरण कहा और अन्याय की पीड़ा सहते कम साधन संपन्न देश के नागरिकों के लिए सरकार को विशेष कानून बनाने का आग्रह किया।
मुख्य न्यायाधीश कई बार जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को बेल मिलने में हो रही देरी का मुद्दा उठा चुके हैं।
एक आंकड़े के अनुसार जेलों में बंद मुकदमे की सुनवाई प्रतीक्षारत कैदियों की संख्या लगभग 80 प्रतिशत पहुंच गई है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल प्रांतों में सर्वाधिक विचाराधीन कैदी हैं – जिन के मामले लंबित चल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण 350 जनपदों में अब विचाराधीन कैदियों के पक्ष में प्रमुख भूमिका निभाने का निर्णय लिया है।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है – आजादी के अमृत महोत्सव अवसर पर आबादी का बड़ा हिस्सा कोर्ट – कचहरी में न्याय पाने के लिए आगे आये। ऐसी व्यवस्था और साधन जुटाने लोकतंत्र की आवश्यकता हैं।
आर्थिक संपन्न वर्ग के अलावा आम नागरिकों को कोर्ट सुविधा सुलभ रहे – सम्मेलन में इस विषय पर चर्चा हुई।
– भूपत सिंह बिष्ट