उत्तराखंड सौम्य राजनेता सांसद तीरथ सिंह रावत ने पूरे किए 59 बसंत !
छात्र नेता से लेकर विश्व की सब से बड़ी पार्टी बीजेपी में मंत्री, मुख्यमंत्री और सांसद तक का सुहाना सफर जारी।
उत्तराखंड के सौम्य राजनेता सांसद तीरथ सिंह रावत ने पूरे किए 59 बसंत !
छात्र नेता से लेकर विश्व की सब से बड़ी पार्टी बीजेपी में मंत्री, मुख्यमंत्री और सांसद तक का सुहाना सफर जारी।
उत्तराखंड के सरल, सौम्य, मिलनसार गढ़वाल लोकसभा सांसद तीरथ रावत ने 59 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
9 अप्रैल 1964 को ग्राम सीरौं, विकासखंड कल्जीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल में
श्रीमती गौरा देवी और श्री कलम सिंह रावत के कनिष्ठ पुत्र तीरथ ने अपने क्षेत्र के लिए इतिहास रच दिया है।
एम ए समाजशास्त्र, पीजी डिप्लोमा पत्रकारिता तक उच्च शिक्षा और श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी में
छात्रसंघ अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत जनसंघ और बीजेपी के प्रमुख नेता अटल बिहारी वाजपेयी जी
के शिष्य हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अब गिने चुने सादगी पसंद प्रचारकों में तीरथ का शुमार है।
विद्यार्थी परिषद से लंबी छलांग पहले भारतीय युवा मोर्चा और फिर 1998 में हरक सिंह रावत को
एमएलसी चुनाव में हराकर लखनऊ विधान परिषद के सदस्य बने।
नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने पर शिक्षा मंत्री बनाये गए।
उत्तराखंड बीजेपी में प्रांतीय महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के पद को शालीनता और सुलभता
की राजनीति से हासिल किया।
2012 में चौबट्टाखाल से उत्तराखंड विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। जनरल खंडूडी के
प्रिय शिष्य के रूप में ईमानदारी और जिम्मेदार राजनीति के लिए हमेशा सराहे जाते हैं।
2017 में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव बनाये गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में
हिमाचल के प्रभारी बनाये गए।
हिमाचल की चारों लोकसभा जीताने के साथ गढ़वाल लोकसभा सीट को रिकार्ड तीन लाख से
अधिक वोटों से जीतकर खुद भी लोकसभा में पहुंचे।
चौथी विधानसभा में 2021 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने पर 115 दिन के लिए
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनाये गए।
ये कोरोना महामारी का प्रचंड काल था – पूरे राज्य के दुर्गम सथलों के हास्पीटलों तक पहुंचकर
एक मुख्या के रूप में स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल बढ़ाया।
गढ़वाल लोकसभा के लोकप्रिय सांसद तीरथ सिंह रावत ट्रांसपोर्ट, टूरिज्म और संस्कृति विभाग की
संसदीय समितियों में योगदान दे रहे हैं।
गढ़वाल लोकसभा में रेल परियोजना का विस्तार और टनल निर्माण, दुर्गम स्थलों के लिए उड़ान योजना के
तहद हवाई जहाज और हैली सेवा विस्तार और बदरी – केदार तीर्थयात्रा को सुगम बनाने के प्रयास निरंतर जारी हैं।
तीरथ जी ने अपनी सरलता, सहजता और मिलनसारिता के गुण से पूरे देश में लोकप्रियता अर्जित की है।
मित्र तीरथ जी शतायु हो और अपने लक्ष्यों को मुस्कराते हुए हासिल करते रहें – ये भगवान केदारनाथ से प्रार्थना है।
तीरथ सिंह रावत की पत्नी श्रीमती रश्मि रावत डीएवी कालेज देहरादून में मनोविज्ञान की प्रोफेसर हैं।
बेटी लोकांक्षा रावत वेल्हम गर्ल्स की छात्रा हैं और उच्च शिक्षा के लिए अमेरिकन यूनिवर्सिटी में चयनित हुई हैं।
— भूपत सिंह बिष्ट