हाईकोर्ट का आदेश: बैंक नक्शे और नियमानुसार पूरे निर्मित भवनों पर ही ऋण दें !
नोयडा ट्विन टावर ध्वस्त होने के बाद बैंक और एनबीसी अब पूरी फार्मेलिटी के बाद ऋण दें या भुगतें।
विगत दिवस नोयडा के गैर कानूनी ट्विन टावर को जमींदोज होने का नज़ारा देश और विदेश में करोड़ों लोगों ने देखा है।
नोयडा के एमरल्ड कोर्ट रेजिडेंसियल कांपलेक्स में सुपरटेक कंपनी ने एपेक्स और सियेन टावर बनाये।
इन्हें 13 साल की कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया गया।
दोनों टावर को ट्विन टावर के नाम से प्रचलित थे – एपेक्स में 32 और सियेन में 29 मंजिल बन चुकी थी और गैर कानूनी ढ़ंग से इन्हें 40 मंजिल तक उठाने के लिए बिल्डर, फाइनैंसर और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों व इंजीनियरों की मिलीभगत साबित हुई है।
अरबों रूपये की लागत से बने इन तीस मंजिला गैर कानूनी टावरों की मंजूरी देने या अपराधिक निर्माण को नज़र अंदाज करने के लिए 26 से अधिक नोयडा विकास प्राधिकरण के अधिकारी और इंजीनियर उत्तर प्रदेश सरकार की सूची में हैं।
ऐसे भवनों को फाइनैंस करने में बैंकों और नान बैंकिंग कंपनियों का बड़ा धन फंसता है।
मद्रास हाईकोर्ट ने बैंकों को स्पष्ट आदेश जारी किए हैं – किसी भी ऐसे भवन को फाइनैंस न किया जाये जो कि नक्शे के अनुसार कंपलीट न हुआ हो।
विकास प्राधिकरण का दायित्व है – स्वीकृत नक्शे के अनुरूप बने भवन को कम्पलीशन सर्टिफिकेट देने की जिम्मेदारी का पालन करें – अन्यथा लापरवाही के लिए भरपायी करायी जा सकती है।
बिजली और पानी के क्नेकशन बिना विकास प्राधिकरण से जारी बिल्डिंग कम्पलीशन सर्टिफिकेट लिए न करें।
कोई बैंक अधिकारी बिना कंपलीशन सर्टिफिकेट और नक्शे के ऋण जारी करता है तो उस की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी।
लापरवाही करने वाले अधिकारियों को बिल्डर से मिलीभगत पर कानूनी कार्रवाई भुगतनी पड़ेगी।
पूरे देश में बिल्डर बिना निर्माण पूरा कराये साठगांठ कर के बैंकों से ऋण हड़प रहे हैं। आगे प्राथमिक क्षेत्र के ये ऋण डूबने पर कोर्ट – कचहरी में विवाद बन रहे हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट