खबरसारराजनीतिविविध

उत्तराखंड का राज दरबार – काम न काज, निशाने पर महाराज !

बारिश की झमाझम में धरासायी पुल , बाढ़ और लोक निर्माण का उखड़ता डामर - पत्रकार दिनेश शास्त्री का नजरिया। 

उत्तराखंड का  राज दरबार  – काम न काज, निशाने पर महाराज !

बारिश की झमाझम में धरासायी पुल , बाढ़ और लोक निर्माण का उखड़ता डामर – पत्रकार दिनेश शास्त्री का नजरिया। 

उत्तराखंड की धाकड़ धामी सरकार के सबसे वरिष्ठ और कद्दावर कैबिनेट मंत्री

सतपाल महाराज आजकल विपक्ष ही नहीं अपनों के भी निशाने पर हैं।

महाराज के पास महत्वपूर्ण ही नहीं सर्वाधिक विभाग भी हैं, जबकि मंत्रिमंडल में

चार बर्थ पहले से खाली चली आ रही हैं, महाराज के पास काम का बोझ समझा जा सकता है।

SATPAL MAHARAJ MLA CHAUBATTAKHAL

महाराज के पास लोक निर्माण विभाग, पर्यटन, संस्कृति, पंचायती राज,

जलागम प्रबंघन और सिंचाई विभाग की जिम्मेदार है। काम के बोझ की दृष्टि से देखा जाए तो

एक अकेले मंत्री को इतने विभाग देखना काफी दुष्कर ही नहीं बल्कि चुनौती भरा काम भी है।

निसंदेह गृह और वित्त के बाद अगर कोई मलाईदार विभाग गिना जाता है तो

वह है -लोक निर्माण विभाग।

लोक का कितना भला हुआ, इस विमर्श को छोड़ भी दें तो विभाग को बजट आवंटन में

शुरू से कभी कंजूसी नहीं हुई। वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में लोक निर्माण विभाग

के लिए कुल 2791.83 करोड़ का प्राविधान किया गया है।

यह कोई मामूली रकम नहीं है। यह अलग बात है कि सड़कों की गुणवत्ता हो

या पुलों का ढहना, यह किसी से छिपा नहीं है। प्रदेश के जिन 36 पुलों का पिछले दिनों में

जो सेफ्टी ऑडिट हुआ था, उनमें से एक मालन नदी पर बना पुल भी था, वह अब अतीत हो गया है।

बाकी का क्या हाल होगा, कोई नहीं जानता। देवभूमि में अब तो देवताओं का ही भरोसा है,

लोक निर्माण विभाग के निर्माण तो उसके स्मारक भर हैं। सड़क पर डामर कैसे उखड़ता है,

ये भी सबने देखा है – यह तो हुई एक बात।

सतपाल महाराज के पास सिंचाई और

बाढ़ नियंत्रण का जिम्मा भी है। बाढ़ के कारण प्रदेश का हरिद्वार जिला सबसे ज्यादा

प्रभावित है और संयोग से महाराज हरिद्वार जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं, वहां बाढ़ प्रभावित इलाकों

का जायजा लेते मुख्यमंत्री धामी तो दिखे लेकिन प्रभारी मंत्री नहीं दिखे तो विपक्ष के साथ

अपनों के निशाने पर भी आ गए।

SPEAKER SMT RITU KHANDURI

इससे पहले मालन नदी के पुल के टूटने पर अंगुली स्वाभाविक तौर पर महाराज की ओर ही उठी।

गनीमत यह रही कि कोटद्वार की विधायक और विधान सभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने क्लास ली

तो आपदा प्रबंधन सचिव की।

महाराज को उन्होंने सीधे निशाने पर नहीं लिया, हालांकि बात घूम फिर कर महाराज की तरफ ही आती है,

क्योंकि पुल तो लोक निर्माण विभाग के कौशल का ही नमूना है। यह अलग बात है कि अपने कार्यकाल में

अनेक इंजीनियरों ने “नाम” कमाने के बाद रिटायरमेंट ले लिया हो, लेकिन नुकसान प्रदेश का

हुआ है और उस नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती।

यही हाल बाढ़ प्रबंधन का भी है। महाराज यहां भी लोगों के साथ अपनों के भी निशाने पर हैं।

जब लक्सर बाढ़ में डूब रहा था तो महाराज के दिल्ली में मंत्रियों के साथ फोटो मीडिया में

आ रहे थे। आप कह सकते हैं कि शायद वे बजट मांगने गए हों। महाराज बजट लाते भी हैं।

पर्यटन के लिए वे बहुत सारी योजनाएं लाए हैं लेकिन महाराज आध्यात्मिक संत होने के बावजूद

यश नहीं ला पाते, यह उनके साथ दुर्योग ही कहा जायेगा। उनके हस्ताक्षर से उनकी जानकारी के बिना

कई अफसर पदोन्नत हो जाते हैं लेकिन महाराज की आपत्ति के बावजूद उनका बाल तक

बांका नहीं होता। यह उनके हिस्से का अपयश ही तो है।

पिछले साल चार धाम यात्रा शुरू हो रही थी। गाजे बाजे के साथ शुरू हुई चारधाम यात्रा की

शुरुआत के मौके पर भी महाराज दूर ही रहे थे, तब किसी ने बताया था कि वे विदेश गए थे,

लेकिन आलोचना का संयोग तो बनाई गया।

पर्यटन हो या संस्कृति अथवा कोई और जिम्मा, महाराज को यश कहीं नहीं मिला

जबकि उनकी कीर्ति देश दुनियाभर में है। दुर्योग को संयोग में महाराज बदल सकेंगे,

यह जानने की अपेक्षा उनका हर शुभचिंतक करता है। उनकी एक मानव सेवा समिति भी है

लेकिन आज प्रदेश का मानव तंगहाल सड़कों, क्षतिग्रस्त नहरों, बाढ़ कुप्रबंधन, अव्यवस्थित पर्यटन,

संस्कृति आदि हर पैमाने से व्यथित और क्षुब्ध है। 

 मंत्रालयों के बोझ तले दबे महाराज कितना कुछ कर सकते हैं, यह उनके लिए चुनौती से कम नहीं है

जबकि अपने ही कपड़े फाड़ने पर उतारू हों तो दामन कितने दिनों तक बचाया जा सकता है।

हम तो भगवान बदरी केदार से महाराज के यश की वृद्धि के लिए ही कामना कर सकते हैं।

कर्म कौशल तो उनको ही दिखाना होगा, उसकी शक्तियां उन्हीं के पास हैं,

हम जैसे लोग कर भी क्या सकते हैं?

  • दिनेश शास्त्री सेमवाल , स्वतंत्र पत्रकार।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!