मुक्तिनाथ धाम यात्रा – नेपाल का मशहूर दर्शनीय पर्यटक स्थल !
भगवान विष्णु के मंदिर में नश्वर संसार से मुक्ति के लिए पाप और पुण्य कुंड में स्नान।
मुक्तिनाथ धाम यात्रा – नेपाल का मशहूर दर्शनीय पर्यटक स्थल !
भगवान विष्णु के मंदिर में नश्वर संसार से मुक्ति के लिए पाप और पुण्य कुंड में स्नान।
नेपाल देश पहले हिन्दू राष्ट्र के नाम से जाना जाता रहा है। भारत की सनातन परम्परायें
और मान्यतायें आज भी पूरे नेपाल में समृद्ध हैं।
भगवान बुद्ध की जन्मभूमि , माता सीता का देश , भगवान शिव के कैलास मानसरोवर का प्रवेश द्वार,
विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर एवरेस्ट – सागरमाथा और अनेक हिम शिखर जहाँ साहसिक युवा
अपने कौशल और अध्यात्मिक समृद्धि का विकास करने पहुँचते हैं।
छोटे से हिमालीय देश नेपाल में पूरे संसार से लोग पहुँचते हैं। पर्यटन नेपाल की आजीविका का प्रमुख
संसाधन भी है। नेपाल के सात प्रांतों में बागमती काठमांडू शहर के लिए और गण्डकी पोखरा शहर के
लिए मशहूर है।
गंडकी प्रान्त में स्थित मुक्तिनाथ धाम विष्णु भगवान का प्रसिद्ध मंदिर है। वैसे इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म की
प्रधानता अधिक नज़र आती है।
मुक्तिनाथ धाम आने के लिए काठमांडू से पोखरा आना पड़ता है। पोखरा से जोमसोम 20 मिनट की
फ्लाइट है। अन्यथा सड़क मार्ग गंडकी नदी के साथ – साथ पहाड़ी और भू धसाव के कारण बाधित
होता रहता है और घंटों लग जाते हैं।
जोमसोम से मुक्तिनाथ धाम की दूरी गाड़ी में एक घंटे के भीतर तय हो जाती है। मंदिर तक पैदल रास्ता आधे
घंटे का सहज है। फिर भी दक्षिण भारत या समुद्र तट से आने वाले यात्री मंदिर जाने के लिए घोड़े
और डंडी का सहारा लेते हैं।
मुक्तिनाथ मंदिर परिसर की व्यवस्था महिला लामा अनई देखती हैं। मुक्तिनाथ मंदिर में प्रसाद स्वरुप
पीले वस्त्र की कतरन लामा जी गले में बांधती हैं, छोटी सी पोटली में सिक्का और चावल बांध कर दिए
जाते हैं।
भगवान विष्णु के साथ अन्य माँ लक्ष्मी और अन्य देवों की मूर्तियां विद्यमान हैं। बाहर परिक्रमा से पहले
पंडित जी दो रंग के टिका भी करते हैं।
मंदिर के पीछे 108 जलधारायें बह रहीं हैं। आस्था के लिए श्रद्धालु इस ठंडी जलधारा के नीचे दौड़
लगा कर स्नान करते हैं। फिर मंदिर के सामने दांये और के पाप कुंड में डुबकी लगाकर अपने पाप के
लिए क्षमा याचना करते हैं। फिर दूसरे कुंड में डुबकी लगाकर नए वस्त्र धारण कर मंदिर में
दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
संसार के माया मोह से मुक्ति पाने के लिए सुदूर हिमालय नेपाल के इस दुर्गम छोर पर दुनिया भर
के हिन्दू भगवान विष्णु की अराधना के लिए आते हैं।
मुक्तिनाथ धाम परिसर में बौद्ध भिक्षुणी गोम्पा है और माँ ज्वाल्पा देवी की बौद्ध प्रतिमा की पूजा
की जाती है। मंदिर परिसर में अनेक धर्म चक्र भी लगाये गए हैं।
भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा के आगे सुन्दर उपवन सजा है। नेपाल में सनातन मान्यताओं का
सजीव सुन्दर अनुभव मुक्तिनाथ धाम में उपलब्ध है। पूरे इलाके की साफ-सफाई और वनीकरण के
सराहनीय प्रयास जारी हैं।
रात्रि विश्राम के लिए जोमसोम से लेकर खगबेनी, खिंग , झरकोट आदि में पर्याप्त व्यवस्था हैं।
- भूपत सिंह बिष्ट