एक पृथ्वी – एक परिवार सम्मेलन : सब के चिंतन में रहे हिमालय !
केंद्रीय एचएनबी विश्व विद्यालय में जी - 20 के मद्देनजर पांच विशिष्ट संस्थाओं के विशेषज्ञों का सतत विकास पर विमर्श।
एक पृथ्वी – एक परिवार सम्मेलन : सब के चिंतन में रहे हिमालय !
केंद्रीय एचएनबी विश्व विद्यालय में जी – 20 के मद्देनजर पांच विशिष्ट संस्थाओं के विशेषज्ञों का सतत विकास पर विमर्श।
कुलपति प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल ने आह्वान किया है कि – हमें हिमालय के लिये दमदार आवाज
उठानी होगी।
चीन हिमालय क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है – यह हमारे देश और हिमालय की सुरक्षा
का मामला है।
मसले के राजनीतिक हल के अलावा उन्होंने सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना के साथ हिमालयी संसाधनों के
संतुलित दोहन की बात रखी।
कुलपति नौटियाल ने कहा – ग्रीन इनर्जी के साथ विकास एक हल है।
हमें अपनी अंधाधुंध जरूरतों पर भी रोक लगानी है।
ऐसे वक्त में जब दुनिया के शीर्ष नेता भारत के नेतृत्व में एक खुशहाल विश्व परिवार की
बात कर रहे हैं – विश्व पर्यावरण के लिये अहम हिमालय के सरोकारों को समझा जाना जरूरी है।
हाल के वर्षों में हिमालय में हुई घटनाएं एक ही बात बता रही हैं कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट ही सुरक्षित रास्ता है।
यानी आज के विकास कार्यों में आने वाले कल की समग्र चिंता भी शामिल हो।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्व विद्यालय की पहल पर हिमालयी क्षेत्र के 13
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के संगठन समेत पांच संस्थाओं के विषय विशेषज्ञों के
सामूहिक विमर्श में सोमवार को यह निष्कर्ष निकला है।
इस विमर्श की सिफारिशें जी – 20 की सदारत कर रही भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को
भेजी जा रही हैं ताकि दुनिया भर में हिमालय संरक्षण की अलख जगे।
विश्वविद्यालय के चौरास परिसर में हुए इस आयोजन में जी बी पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान,
रिसर्च एंड इनफार्मेशन सिस्टम फ़ॉर डेवलपिंग कन्ट्रीज (आरआईएस),
कलिंगा इस्टीटूट फ़ॉर इंडो पैसिफिक स्टडीज, इंडियन हिमालयन यूनिवर्सिटीज समूह और
गढ़वाल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ विद्वानों ने हिमालय से जुड़े विविध आयामों पर पूरे दिन मंथन किया।
प्रो शेषाद्रि रामानुजम चारि ने कहा हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने जी -20 को सरकारों के संवाद के साथ,
सदस्य देशों के लोगों के बीच संवाद का मंच बनाने की बात कही है।
वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के तहत ये समझा जाना चाहिए कि एक हिमालयी ग्लेशियर का पिघलना
विश्व के एक बड़े भूभाग को प्रभवित करने वाली घटना है।
हमें पर्यावरण की कीमत पर विकास नहीं चाहिए। सतत विकास के मानक कुछ देश तय कर रहे हैं।
इसके लिए भारत क्षेत्रीय हितों वाले मूल्यों की भी बात चाहता है। विकासशील देशों पर दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए।
कलिंगा यूनिवर्सिटी के चेयरमैन चिंतामणि महापात्र ने कहा भारत के पास नेतृत्व का मौका
ऐसे समय में आया है, जब दुनिया में कोल्ड और हॉट दोनों वॉर चल रहे हैं।
भारत ने निर्गुट आंदोलन को नेतृत्व दिया है और वह विभाजक देशों के बीच पुल बनने में सक्षम है।
जेएनयू में यूएन स्टडीज के प्रो ए कुमार ने कहा जी – 20 में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं के समक्ष
विकास के साथ ऊर्जा की उपलब्धता एक बड़ा मसला है। अमेरिका अपनी तकनीक
बाकी दुनिया के साथ साझा करे।
सतत विकास का लक्ष्य हासिल करने के लिए फॉसिल फ्यूल की खपत कम कर
ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की जरूरत है।
प्रोफेसर सुनील नौटियाल ने भारतीय हिमालय क्षेत्रों के लिए महत्व एवं संपूर्ण विश्व के लिए
आजीविका एवं जलवायु हेतु विशिष्टता पर जोर दिया।
पदचिह्न टाइम्स।