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उत्तराखंड टूरिज्म उद्योग में घर करती हताशा !

दो साल से हजारों युवा बेराजगार, अब उद्यमी मांग रहे सुविधायें।

उत्तराखंड टूरिज्म उद्योग में घर करती हताशा !
दो साल से हजारों युवा बेराजगार, अब उद्यमी मांग रहे सुविधायें।
– भूपत सिंह बिष्ट द्वारा
कोविड काल में पूरे देश में उद्योग – धंधों पर आर्थिक कहर बरपा हुआ है और उत्तराखंड का टूरिज्म उद्योग भी इस मंदी से अछूता नहीं है – पिछले दो साल से टूरिज्म इंडस्ट्री को खड़ा करने वाले युवा अब अपने व्यवसाय के साथ – साथ खुद के दिवालिया होने के कगार पर आ रहे हैं।


मुख्यमंत्री, टूरिज्म मंत्री, टूरिज्म सेक्रेटरी, आरटीओ आदि के दरवाजों पर अपनी फरियाद और ज्ञापन का कोई सकारात्मक हल नहीं निकल पाया है। अपनी ज्वलंत समस्याओं से अवगत कराने के लिए सभी बदरीनाथ, केदारनाथ और प्रमुख नगरों में धरना – प्रदर्शन, हरिद्वार और ऋषिकेश से मुख्यमंत्री आवास तक पदयात्रा और विधानसभा भवन पर कूच जैसे आयोजन के अलावा टूरिज्म इंडस्ट्री की शवयात्रा तक उत्तराखंड टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग निकाल चुके हैं।

टूर आपरेटर एशोसियेशन उत्तराखंड के युवा अध्यक्ष बिक्रम राणा उत्तर भारत के जाने माने पर्यटन व्यवसायी हैं। चारधाम यात्रा, अभिश्री टूर ट्रैवल, गुप्तकाशी और बड़कोट में कैंप निर्वाणा रिसोर्ट के मालिक बिक्रम राणा ने टूरिज्म में ग्रेजुएशन किया है – नेपाल और जापान में टूरिज्म की विशेषज्ञता हासिल की लेकिन पिछले दो सालों से उनका कैरियर ग्राफ सरकारी राहत की आक्सीजन ताकने लगा है। बंद इस्टेबलिसमेंट में सरकारी बिजली, पानी, टैक्स और बैंक की मासिक किश्तें सब दुश्वारियां पैदा कर रही हैं।

बिक्रम राणा उत्तराखंड टूरिज्म उद्योग को लालफीताशाही का शिकार मानने लगे हैं – सरकारी अधिकारियों से अधिक उत्तराखंड के युवाओं ने अपने दम पर होटल, ट्रैवल, रेस्ट्रां, राफटिंग, गाइड और बुकिंग एजैंसी आदि में पूरे देश और विदेशी अतिथियों को उत्तराखंड डेस्टिनेसन से परिचय कराया है और 25 प्रतिशत का योगदान प्रदेश की जीडीपी में दिया है।

आज संकट की घड़ी में सरकार ने टूरिज्म उद्योग से अपना मुंह मोड़ रखा है। 2013 की केदारनाथ आपदा में भी प्रदेश के टूरिज्म उद्योग को सबसे बड़ा आघात लगा था और सैकड़ो युवा और उनके परिवार उजड़ गए थे। आज भी पिछले दो सालों से प्रदेश में टूरिज्म इंडस्ट्री की कोई सुध लेने वाला नहीं है।

टूर आपरेटर एशोसियेशन उत्तराखंड ने पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्री को लिखित में ज्ञापन दिए और प्रतिनिधि मंडल ने सुझाव दिए हैं कि प्रदेश के प्रमुख उद्योग को बचाने के लिए कोविड प्रोटोकाल में आवश्यक दिशा निर्देश शामिल किए जायें ताकि प्रदेश के होटलियर्स, टैक्सी – मैक्सी आपरेटर, गाइड एशोसियेशन के हितों की रक्षा हो सके।

सरकार ने आधे – अधूरे मन से हरिद्वार महाकुंभ आयोजित किया और अब चारधाम यात्रा को लेकर भी कोई साफ योजना नहीं है। 12 अलग संस्थाओं के साथ मिलकर हमने सरकार को सुझाव दिया कि आज की परिस्थितियों में टूरिस्ट 9 से 10 दिन की चारधाम में आने वाले नहीं है और तीर्थयात्रियों की संख्या भी सीमित रहने वाली है।
ऐसे में केंद्र सरकार से प्रदेश सरकार गुजारिश करे कि टूरिज्म इंडस्ट्री के सपोर्ट में कोविड वैक्सीन ले चुके नागरिकों को चारधाम यात्रा पर आने की छूट दी जाए। आवश्यक होने पर आरटीपीसीआर या रैपिड टेस्ट की व्यवस्था करा ली जाए। बाकि चारधाम क्षेत्र में टूरिस्ट पूरी तरह से कोविड नियमों का पालन करेंगे।
प्रदेश सरकार दो साल से खड़े कामर्शियल वाहनों को टैक्स और फिटनेस की छूट दे। टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े उद्यमियों को उनके पिछले कारोबार और टैक्स रिटर्नस के अनुरूप सस्ते दरों पर ऋण उपलब्ध कराने की योजना बने।
टूरिज्म इंडस्ट्री के छोटे कर्मचारियों को अन्य कर्मियों की तरह आर्थिक मदद और पांच लाख का हैल्थ कवर दिया जाए। कोरोना वैक्सीनेसन में प्राथमिकता मिले।

 


भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन कौशिक ने आश्वासन दिया है कि जल्दी चारधाम यात्रा खुलेगी और एक साल का रोड़ टैक्स माफ किया जायेगा। टूर आपरेटर एशोसियेशन की शिकायत है कि प्रदेश सरकार हाईकोर्ट में चारधाम यात्रा को सुरक्षित आयोजित करने के लिए मजबूत पक्ष ना रखने से चारधाम यात्रा टली हुई है। दूसरी ओर जागेश्वर आदि मंदिरों में राजनेताओं के आने जाने में रोक टोक नहीं है।

सतपाल महाराज ने एसोशियेसन के अनुरोध पर  केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी और केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखे हैं कि उत्तराखंड आने वाले टूरिस्टों और तीर्थयात्रियों की टिकट राशि में कटौती ना करके, उन्हें यात्रा री – शैडूयल करने या पूरा रिफंड दिलाने की व्यवस्था हो ताकि उत्तराखंड टूरिज्म का हब बना रहे।
– भूपत सिंह बिष्ट

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