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सांसद राहुल गांधी की पदयात्रा और कश्मीर राजनीति की दिशा !

कांग्रेस की मजबूती बनी बर्फबारी के बीच शेरे ए कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम की यादगार रैली।

राहुल गांधी की पदयात्रा और कश्मीर राजनीति की दिशा !
कांग्रेस की मजबूती बनी बर्फबारी के बीच शेरे ए कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम की यादगार रैली।

भारत की राजनीति में सांसद राहुल गांधी ने कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए कन्याकुमारी से

कश्मीर श्रीनगर तक पदयात्रा का इतिहास रच दिया।

30 जनवरी को भीषण बर्फबारी के बीच शेरे ए कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में भारत जोड़ो यात्रा की

समापन रैली का आयोजन था।
पिछली रात से श्रीनगर में बर्फबारी शुरू हो चुकी थी। तापमान शून्य के करीब था।
सुबह श्रीनगर की सारी सड़के, घर – आहाते और पहाड़ियां सफेद बर्फ की चादर से लकदक थी।

सड़कों पर सुरक्षा कारणों से वाहनों का आवागमन बंद था। सिर्फ पुलिस और सुरक्षा बलों की गाड़ियां दौड़ रही थी।
रैली का समय सुबह दस बजे से था लेकिन निरंतर बर्फबारी ने जनजीवन को थाम रखा था।

कांग्रेस कार्यकर्ता, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस, राहुल समर्थक, भारत यात्री, मीडिया और सुरक्षा बलों की

हलचल बर्फबारी के बीच सन्नाटे को भंग करती थी।
ग्यारह बजे के बाद स्टेडियम में सक्रियता बढ़ने लगी। स्टेडियम में लगी कुर्सियों पर बर्फ की तह चढ़ती जा रही थी।
मंच और सामने बर्फ और बारिश से बचने के लिए कोई शामियाना नहीं था।


सब से पहले मंच पर महबूबा मुफ्ती पूर्व मुख्यमंत्री पहचान में आयी।
शेख अब्दुला, डीएमके, आरएसपी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़से, प्रियंका गांधी के बाद चार बार के

सांसद राहुल गांधी ने लगातार हो रही बर्फबारी में रैली को संबोधित किया।

भारत जोड़ो यात्री, कांग्रेसी सांसद, विधायक, मंत्री और कार्यकर्ताओं के लिए दो घंटे बर्फ में डटे रहना

अग्नि परीक्षा साबित हो रहा था।

सत्तर साल तक आराम तलबी के लिए बदनाम कांग्रेसी नेताओं के लिए राहुल गांधी की पदयात्रा

छवि परिवर्तन की साक्षी रही है।
अब राजनीतिक चुनौती देने में कांग्रेस आगे बढ़ी है।

2023 -2024 के चुनाव में कांग्रेस को सड़क से संसद तक नई भूमिका में देखा जा सकता है।
राहुल गांधी ने 3600 किमी की 136 दिन की पदयात्रा को देश के आम नागरिक, बच्चों, युवा और

महिलाओं को समर्पित किया।

स्कूल – कालेज में फुटबाल खेलते हुए घुटने का दर्द जब पदयात्रा में बाधा देने लगा तो एक बच्ची ने

राहुल को खत लिखकर प्रेरित किया।
मैं जानती हूं – तुम्हारे घुटने में दर्द है। मेरे माता – पिता मुझे इस पदयात्रा की इजाजत नहीं देंगे। फिर भी मैं हर समय

तुम्हारे साथ रहूंगी और तुम हमारे लिए इस यात्रा को पुरी करना।
राहुल गांधी ने बताया – एक सुबह ठंड में तीन लड़कियां उन के साथ फोटो खींचाने सड़क में आयी।

वे ठंड से कांप रही थी और पहनने के लिए स्वेटर नहीं थी।
मैंने भी संकल्प लिया – इन बेटियों की पीड़ा को सहने के लिए यात्रा में स्वेटर नहीं पहनूंगा।

जम्मू से कश्मीर यात्रा के अंतिम दिनों में सुरक्षा कारणों से पैदल चलना संभव नहीं था – आशंका थी

कि यात्रा पर हथगोले फैंके जा सकते हैं।
मैंने निश्चय किया – मैं कश्मीर अपने घर जा रहा हूं। पदयात्रा नहीं रोकूंगा भले ही मेरी सफेद टी शर्ट का रंग लाल हो जाए।
मैं डरने वाला नहीं हूं।

राहुल गांधी की पदयात्रा ने जम्मू – कश्मीर वासियों के दिलों में अपनी जगह बनायी है। कांग्रेस मजबूत हुई है।
अगले चुनाव में कांग्रेस के साथ नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और अन्य दल एक साथ आ सकते हैं।

उधर त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दलों में गठबंधन हुआ है।
2018 में बीजेपी ने वामपंथी दलों की 25 साल पुरानी सरकार को अपदस्थ किया है।

बीजेपी दो मुख्यमंत्री बदल चुकी है और 16 फरवरी की वोटिंग में त्रिपुरा में एक बार फिर बीजेपी को

विपक्ष की चुनौती है।
इस साल नागालैंड,मेघालय,कर्नाटक, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम और राजस्थान में बीजेपी को

2024 लोकसभा चुनाव से पहले अपनी लोकप्रियता साबित करनी है।
— भूपत सिंह बिष्ट

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