शख्शियत रवीश कुमार -जब चैनल पत्रकार खुद खबर बन जाए !
देश का प्रमुख और पुराना एनडीटीवी चैनल भी अडानी ने खरीदा, अब फिर खबरनवीशों की छटनी।
भारत के सबसे अमीर घराने ने मीडिया हाउस एनडीटीवी को खरीद लिया है।
अंग्रेजी पत्रकार प्रणव राय ने दूरदर्शन के सहारे कभी अपने चैनल की शुरूआत की थी।
चुनावी खबरों में देशभर में छा जाने के बाद राधा राय प्रणव राय की कंपनी ने एनडीटीवी चैनल को बंबई और
दिल्ली से अंग्रेजी व हिंदी में आरंभ किया।
केंद्र में मोदी सरकार का बारिकी से मूल्यांकन करने के लिए रवीश कुमार बहुत जल्दी भक्तों की नज़र में खटकने लगे।
जब मोदी सरकार दो करोड़ प्रतिवर्ष रोजगार का दावा कर रही थी तो रवीश के प्राइम टाइम
में बेरोजगारों की पीड़ा दिखायी जाती थी।
कहीं सिलेक्ट होने के बाद नियुक्ति पत्र के लिए ठगे जाने का बयान था तो कोई बार – बार प्रतियोगी
परीक्षाओं को नकल और बेमानी के चलते रद्द करने से हलकान थे।
उच्च शिक्षा के नाम पर कस्बों और शहरों के महाविद्यालय और युनिवर्सिटीज का पर्दापाश
भी रवीश कुमार के प्राइम टाइम में हुआ।
एनडीटीवी के मालिक प्रणव राय ने अपने हिस्से के 29 % शेयर गिरवी रखकर लोन उठाया था।
ये लोन प्राइवेट बैंक, एनबीएफसी से होता हुआ विश्व प्रधान कमर्शियल लिमिटेड के पास आ गया।
प्रणव राय ने दस साल तक ब्याजमुक्त लोन नहीं चुकाया और ऋण शर्तों के अनुसार कंपनी
शेयर अपने नाम करा सकती थी।
अडानी ग्रुप ने एक झटके में विश्व प्रधान कमर्शियल लिमिटेड का टेक ओवर कर एनडीटीवी के 29% शेयर हासिल कर लिए।
अब सेबी की अनुमति से अडानी मीडिया ग्रुप मार्केट से ओपन आफर के तहद 5 दिसंबर तक शेयर खरीद रहा है।
पचास फीसदी से अधिक शेयर के बाद एनडीटीवी चैनल का पूरा प्रबंधन अडानी मीडिया ग्रुप के हाथ में आ जायेगा।
अभी भी 32 फीसदी शेयर राधा राय और प्रणव राय के पास बरकरार हैं।
प्रमोटर कंपनी आरआरपीआर से राधा राय और प्रणव राय का इस्तीफा हो चुका है।
मोदी सरकार के प्रखर आलोचक रवीश कुमार ने भी अब एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया है।
एनडीटीवी में हिंदी पत्रकारिता को रवीश कुमार ने नए प्रतिमान दिए। आम आदमी की कहानी
को सरकार के सामने मजबूती से लाने के लिए रवीश कुमार का होमवर्क हमेशा कमाल का रहा।
रवीश कुमार को रमन मेगसेसे अवार्ड और देश – विदेश में ढेरों तारीफ मिली।
बीजेपी प्रवक्ताओं ने रवीश कुमार के तीखे सवालों से बचने के लिए एनडीटीवी चैनल से दूरी बनाकर रखी।
रवीश कुमार कोरोना महामारी की बेलाग विस्तृत रिपोर्टिंग के लिए भी सराहे जाते हैं।
अब हिंदी के दर्शकों को रवीश कुमार के नए उपक्रम का इंतजार है। वैसे यूटयूब में रवीश कुमार के
दर्शकों की संख्या पहले ही लाखों में पहुंच चुकी है।
– भूपत सिंह बिष्ट