उत्तराखंड दर्शन: भारत का पहला गाँव माणा में आकार लेता सरस्वती मंदिर !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से बदरीनाथ धाम का कायाकल्प पूरे वेग से जारी - नव निर्माण से तीर्थ स्थल को भव्यता।
उत्तराखंड दर्शन: भारत का पहला गाँव माणा में आकार लेता सरस्वती मंदिर !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से बदरीनाथ धाम का कायाकल्प पूरे वेग से जारी – नव निर्माण से तीर्थ स्थल को भव्यता।
देश के पहले गाँव माणा, बदरीनाथ धाम ने अबअपनी नई पहचान हासिल की है।
कभी माणा को देश के अंतिम गांव की पहचान थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने
माणा प्रेम को विश्व में उजागर कर इसे भारत का पहला गाँव नाम दिया है।
आश्चर्य ढंग से अब बदरीनाथ धाम आने वाले यात्री गण सात किमी दूर बसे
माणा गांव का भी रुख करने लगे हैं।
माणा की साफ – सफाई, रंग रोगन सब दिल को भाता है। स्थानीय महिलायें अपनी छोटी – छोटी
दुकानों में अपने हस्त कौशल के उत्पाद, जड़ी – बूटियां, आर्गनिक चाय, नाश्ते और
भोजन का सामान विक्रय करती हैं।
इन दुकानों पर मिलने वाली वस्तुयें दाम के साथ लिखी हैं ताकि तीर्थयात्री अधिक
मूल्य वसूलने की शिकायत लेकर न जायें।
यात्रियों का तांता रोज सुबह माणा गांव में स्थित गणेश गुफा की ओर उमड़ने लगता है।
स्थानीय महिलायें भी यहां अपनी आस्था मजबूत करती दिख जाती हैं।
माणा गांव वाहन से पहुंचने वालों के लिए पचास रूपये पार्किंग शुल्क तय है।
माणा गांव अपने घंटाकर्ण मंदिर और बदरी धाम के पिता वसुधारा मार्ग के लिए जाना जाता है।
गणेश गुफा से लगभग सौ मीटर ऊपर व्यास गुफा है और इस प्रकार माणा गांव को
महाभारत काल और पांडव भाइयों से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त है।
तिब्बत सीमा माणा पास की ओर से आ रही सरस्वती नदी को भीम शिला पुल पर
कंदराओं के बीच बहते हुए देखा जा सकता है।
दूध की तरह कल – कल बहती सरस्वती नदी को ऊंचाई से निहारना रौमांचित करता है।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रयासों से सरस्वती नदी के मुहाने पर संगमरमर का
भव्य सरस्वती मंदिर आकार ले रहा है।
नई मूर्तियां मंगायी गई हैं। भीमपुल शिला को सुरक्षा कारणों से मजबूत किया गया है।
आगे वसुधारा का मार्ग अब और भी निखर गया है। माणा में आकाशवाणी के सौजन्य से
बदरीनाथ धाम की पूजा – अर्चना के संगीत मय भजन, ऋचायें यात्रियों और स्थानीय लोक को
अध्यात्म से भाव विभोर करते हैं।
माणा गांववासी नरेंद्र मोदी के स्नेह से गदगद हैं। नए भवन निर्माण के साथ ही यहां स्थानीय लोग
अपनी खेती -पाती, पशु पालन, ऊनी वस्त्र निर्माण में भी जुटे देखे जा सकते हैं।
— भूपत सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार।