उत्तराखंड के शेखर जोशी ने रचा श्रमिकों का श्रेष्ठ कथा संसार !
90 वर्ष की आयु में शेखर जोशी को मिला - दूसरा विद्या सागर नौटियाल सम्मान - 2022
उत्तराखंड के शेखर जोशी ने रचा श्रमिकों का श्रेष्ठ कथा संसार !
90 वर्ष की आयु में शेखर जोशी को मिला – दूसरा विद्या सागर नौटियाल सम्मान – 2022
उत्तराखंड के नामचीन साहित्यकार विद्या सागर नौटियाल की स्मृति का दूसरा विद्या सागर पुरस्कार शेखर जोशी को दिया गया है।
90 वर्षीय शेखर जोशी गंभीर अस्वस्थ हैं और गाजियाबाद के हास्पीटल में भर्ती हैं।
सुप्रसिद्ध उपन्यासकार और संपादक पंकज बिष्ट से शेखर जोशी के लिए सम्मान उन के बेटे प्रतुल जोशी ने प्राप्त किया।
कार्यक्रम का आयोजन दृष्टि बाधित संस्थान , देहरादून के सभागार में हुआ।
अपने सारगर्भित संबोधन में कथाशिल्प के धनी पंकज बिष्ट ने शेखर जोशी को कुमाँऊ और विद्यासागर नौटियाल को टिहरी गढ़वाल से हिंदी के स्थापित कथाकार बताया।
पंकज बिष्ट के अनुसार शेखर जोशी मजदूर वर्ग का सशक्त चित्रण तो करते हैं लेकिन उन के नायक क्रांति का आह्वान नहीं करते हैं।
अपने वर्ग के शोषण को बड़ी सहजता से जीते और अहसास करा देते हैं। दूसरी ओर विद्या सागर नौटियाल के साहित्य में राजनीति का पुट है।
नौटियाल अपने नायकों और पाठकों से जीवन में वर्ग संघर्ष आमंत्रित करते दिखते हैं। टिहरी गढ़वाल में राजशाही और अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष संभव कारण लगते हैं।
उधर कुमायूं के लेखक ने सत्ता को सहजता से स्वीकार किया है। इस कारण शेखर जोशी के श्रमिक साहित्य में कहीं मिललिटेंसी नहीं उभरती है।
पहला विद्या सागर सम्मान कहानीकार सुभाष पंत को मिल चुका है।
शेखर जोशी के बेटे प्रतुल जोशी ने बताया – हास्पीटल आईसीयू में भर्ती पिता ने कहा – तुम्हें देहरादून होना चाहिए।
अपने मित्र विद्या सागर नौटियाल स्मृति कार्यक्रम का मेरे रूग्ण पिता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
90 साल के शेखर जोशी देहरादून डीएवी कालेज में इंटर पढ़ने आए थे और ईएम ई में अप्रेंटिश भर्ती हुए।
इलाहाबाद में रह रहे नामचीन लेखकों नरेश मेहता, उपेंद्र अश्क, अमरकांत, मार्केंडय सिंह, यशपाल आदि के साथ शेखर जोशी का रचना संसार परवान चढ़ा।
असुरक्षित बचपन , मां की अकाल मृत्यु व विस्थापन ने कथा संसार में शेखर जोशी के भाव सघन किए।
1958 में शेखर जोशी और विद्या सागर नौटियाल संपर्क में आये।
श्रमिक साहित्य रचना में विद्यासागर नौटियाल पहले और शेखर जोशी दूसरे नंबर पर माने गए।
शेखर जोशी ने अपने एक संस्मरण में टिहरी बांध विरोधी वामपंथी साथी विद्या सागर नौटियाल का जिक्र किया।
जवाब में कामरेड कथाकार विद्या सागर ने जवाब दिया – टिहरी नगर पालिका ने जब मकान ढहाने का निर्णय ले लिया था तो बच्चों को कहां लेकर जाता ? घर का मुआवजा लेना वाजिब था।
शेखर जोशी अपने संस्मरण में ये भी कहते हैं – कामरेड विद्या सागर नौटियाल ने अपनी रूस यात्रा के दौरान रूस विभाजन का जिक्र अपने साहित्य में नहीं किया है।
कार्यक्रम का संचालन राजेश सकलानी और अध्यक्षता कथाकार सुरेश उनियाल ने की।
— भूपत सिंह बिष्ट