
बिहार मतदाता सूची से हटाये 65 लाख नाम चुनाव आयोग ने जारी किये !
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब बिहार में आधार कार्ड दिलाएगा वंचितों को मतदान का अधिकार।
बिहार में वोट चोरी को लेकर मचे घमासान में चुनाव आयोग के तेवर सुप्रीम कोर्ट में ढ़ीले पड़ें हैं।
चुनाव आयोग ने बताया है कि 65 लाख नामों की जानकारी 38 – जिला निर्वाचन की
वेब साइट में जारी कर दी गई है और इस प्रकार चुनाव आयोग ने 14 अगस्त के
अंतरिम आदेश का पालन किया है।

विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि चुनाव आयोग पक्षपात कर वोट का अधिकार
वापस ले रहा है।
भारत में 18 साल के नागरिक को वोट का अधिकार मिले – अभी तक इसके लिए
विशेष अभियान चलाया जाता रहा है लेकिन बिहार विधान सभा चुनाव से पहले
विशेष मतदाता सूची पुनर्नरीक्षण अभियान चलाया गया – इस में 65 लाख नाम मृत्यु ,
नाम में दोहराव , स्थान परिवर्तन के कारण हटाने से बवाल मचा है।

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गाँधी ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने को लेकर
चुनाव आयोग को घेरा है। कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग जानबूझकर आधुनिक
वोटर लिस्ट मुहैया नहीं करता है। मतदान समाप्ति के बाद लाखों वोट डाले जाने का पुख्ता
प्रमाण वीडियो ग्राफी से पता चलता है लेकिन आयोग विगत सालों में इसे भी छुपा रहा है।
विपक्षी दलों को चुनाव आयोग का व्यवहार मनमाना और गैर -संवैधानिक लगा और वार्ता का
परिणाम न आने पर अनेक पक्ष सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गए।
चुनाव आयोग ने नाम शामिल करने के लिए पहले आधार कार्ड को शामिल नहीं किया था
लेकिन 14 अगस्त के अंतरिम आदेश के बाद अब मतदाता सूची के लिए पहचान के रूप में
आधार कार्ड को मान्यता मिल गई है।
सुप्रीम कोर्ट में अगली तारीख 22 अगस्त तय हुई है।
पदचिह्न टाइम्स।