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स्पीकर ऋतु खंडूडी भूषण ने रचा इतिहास रद्द की तदर्थ नियुक्तियां – शासन को भेजा प्रस्ताव !

फिलहाल  250 सिफारिशी  बाहर होंगे और लखनऊ की कुख्यात एजैंसी की लिखित परीक्षा को भी रद्द किया।

स्पीकर ऋतु खंडूडी भूषण ने रचा इतिहास रद्द की तदर्थ नियुक्तियां – शासन को भेजा प्रस्ताव !

फिलहाल  250 सिफारिशी  बाहर होंगे और लखनऊ की कुख्यात एजैंसी की लिखित परीक्षा को भी रद्द किया।

 

उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर ऋतु खंडूडी भूषण ने भ्रष्ट – सिफारिशी नियुक्तियों को रद्द कर इतिहास रच दिया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री – मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूडी की योग्य बेटी ने अपनी विधिक शक्तियों का पालन करते हुए एक विशेषज्ञ समिति को 3 सितंबर को जांच सौंपी थी।

जांच समिति में  सभी रिटायर वरिष्ठ  आए ए एस  डी के कोटिया , एस एस रावत व अवनेंद्र सिंह नयाल नामित किये गए थे। 

समय से पहले 20 दिन में विशेषज्ञ समिति ने 2014 पेज की रिपोर्ट और 29 पेज के सारांश में  पेश किया।

वर्ष 2011 के बाद विधानसभा की नियुक्ति प्रक्रिया को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के विरूद्ध पाया है।

 

समूह ग व घ के पदों पर तदर्थ, संविदा या नियमित वेतन  या दिहाड़ी नियुक्तियों पर सरकार ने 6 फरवरी 2003 को रोक लगायी है। 

 

2016 की 150, 2020 की 06 और 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियों में कानूनी प्रक्रिया, भर्ती नियमावली को ताक पर रखकर सिफारशी लोग नौकरी पा गए।

 

आश्चर्य का विषय ये भी है कि  विशेषज्ञ समिति ने पाया  सभी पदों का अनुमोदन शासन स्तर से है सो अब तदर्थ नियुक्तियां रद्द करने का अनुमोदन भी सरकार के पास है।

 

स्पीकर  तदर्थ भर्तियां रद्द करने का प्रस्ताव सरकार को भेज चुकी हैं।  अब गेंद फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पाले में आ गई है।

स्पीकर की त्वरित कार्रवाई से अब सरकार को भी युवाओं के पक्ष में द्रुत कार्रवाई करनी है।

 सरकारी पदों की सौदेबाजी में सक्रिय बड़ी मच्छलियों पर कानूनी शिकंजा कसना होगा।

इन सिफारिशों लोगों पर कानून विरूद्ध नौकरी पाने, सरकारी खजाने से वेतन प्राप्त करने, गैर कानूनी भुगतान की वसूली और नियुक्ति बांटने वाले अधिकारियों व नेताओं पर कार्रवाई कौन करेगा ?

 

स्पीकर ऋतु खंडूडी भूषण ने विधानसभा में उपनल संस्था द्वारा  लगी  22 नियुक्तियां भी निरस्त कर दी हैं।

 

लखनऊ की सबसे बदनाम रिक्रूटमेंट एजैंसी से करायी गई परीक्षा को भी स्पीकर ने अब निरस्त कर दिया है।

इस एजैंसी की मिली भगत से  परीक्षायें निरस्त करनी पड़ी हैं और युवा बेरोजगार आंदोलन कर सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। 

सरकार दबाव में है और  अधीनस्थ चयन आयोग की परीक्षायें लोक सेवा आयोग से करवाकर बैकफुट पर आयी है।

 

32 विधानसभा पदों के लिए इस साल 20 मार्च को भर्ती परीक्षा आयोजित हुई थी और इस का परिणाम आना बाकि है।

विधानसभा सचिव ने विवादित एजैंसी के बिल मिलते ही  दो दिन में 59 लाख का भुगतान  भी करवाया है ।

 

अब एजैंसी के साथ संलिप्ता के चलते विवादित सचिव मुकेश सिंघल को विधानसभा स्पीकर ने निलंबित कर दिया  है।

स्पीकर ऋतु खंडूडी ने  32 पद की लिखित परीक्षा भी निरस्त करने की घोषणा की है।

 

स्पीकर खंडूडी ने दो टूक शब्दों में कहा  – लोकतांत्रिक देश में संविधान किसी को अपार शक्ति नहीं देता है। हम सब को संविधान के दायरे में ही पारदर्शिता से कर्त्तव्य निर्वहन करना है।

पद शासन से स्वीकृत होते हैं और नियुक्तियों में कानून और नियमों का पालन कराना हमारा दायित्व है।  सचिव को मिले विवादित प्रमोशन की भी जांच होगी।

देहरादून और गैरसेण विधानसभा सचिवालय के लिए पद संख्या भी तय की जायेगी। 

 

2011 से पहले की नियुक्तियों पर कानूनी राय मांगी जा रही है क्योंकि इन नियुक्तियों का नियमतिकरण हुआ है।

 

उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद पहली बार जीरो टालरेंस का रिकार्ड किसी विधानसभा स्पीकर के नाम दर्ज हुआ है।

— भूपत सिंह बिष्ट

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