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श्री राम के दिव्य – भव्य मंदिर निर्माण में जुटे देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर – चम्पत राय जी !

हजार साल तक दीर्घायु और स्थिरता हेतु मानव निर्मित चट्टान का काम पूरा हुआ, निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने लगायी है विश्व स्तरीय सबसे बेहतर तकनीक।

श्री राम के  दिव्य -भव्य मंदिर निर्माण में जुटे देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर – चम्पत राय जी !

हजार साल तक दीर्घायु और स्थिरता हेतु मानव निर्मित चट्टान का काम पूरा हुआ, निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने लगायी है विश्व स्तरीय सबसे बेहतर तकनीक।

अयोध्या में बन रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का भव्य निर्माण कार्य – भारतीय इंजीनियरिंग का चमत्कार है।

श्री राम की सेवा में देश के सबसे बेहतर इंजीनियर और वास्तुकार जुटे हुए हैं।

सीबी सोमपुरा मंदिर और प्राचीर के वास्तुकार और जय काकतीकर प्राचीर क्षेत्र से बाहर के लिए वास्तुकार हैं।

श्री राम जन्मभूमि निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने विश्व की सर्वश्रेष्ठ तकनीक को इस परियोजना से जोड़ा है।

5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भगृह भूमिपूजन किया।

नवंबर 2020 में नेशनल जियो रिसर्च संस्थान हैदराबाद ने तीर्थ स्थल का जीपीआर तकनीक से भू सर्वेक्षण किया।

अंतरिक्ष तकनीक ने भूमि के नीचे का मलबा और ढीली जमीन को हटाकर एक मानव निर्मित ठोस चट्टान प्लैटफार्म बनाने का सुझाव दिया।
यह काम सितंबर 2021 में पूरा हुआ है – मंदिर स्थल के आसपास छह एकड़ भूमि से लगभग 1.85 लाख घन मीटर मलबा और ढीली मिट्टी हटायी गई है।

गर्भगृह में 56 परत और शेष क्षेत्र में 48 परत आरसीसी कंक्रीट की डाली गई हैं।

चेन्नई आईआईटी के प्रोफेसरों की देखरेख में हर परत में 12 इंच आरसीसी कंक्रीट डालकर उसे भारी रोलर द्वारा दो इंच तक दबाया जाता था।

इस प्रकार भूमि सुधार से मंदिर की औसत आयु की गणना एक हजार साल से अधिक है।

अक्टूबर – जनवरी 2022 तक भूमिगत आरसीसी पर उच्च भार वहन के लिए एक और सेल्फ कांपेक्ट कंक्रीट राफ्ट आधुनिक मशीनों से डाली गई है।

राफ्ट निर्माण में आईआईटी कानपुर और परमाणु रियक्टर इंजीनियर शामिल रहे हैं।

मंदिर के फर्श को 6.5 मीटर तक ऊंचा उठाने का काम जारी है।  इस में कर्नाटक और तेलांगना क्षेत्र के ग्रेनाइट पत्थर के ब्लाक इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

17 हजार ग्रेनाइट ब्लाक से निर्माण सितंबर 2022 तक पूरा होना है।

राजस्थान भरतपुर के बंसी – पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग गर्भगृह में होना है।
सिरोही, राजस्थान में चल रही नक्काशी स्थल से अलंकृत पत्थर अयोध्या पहुंच रहे हैं।

गर्भगृह हेतु मकराना सफेद संगमरमर ब्लाक भी मंदिर स्थल में पहुंच रहे हैं।

सरयू की बाढ़ संभावना को क्षीण रखने के लिए तीर्थ स्थल पर 12 मीटर चौड़ी और 14 मीटर दीवार का निर्माण भी जारी है।
प्रथम चरण में 25 हजार यात्रियों के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ स्थल पर सुविधायें जुटायी जा रही हैं।

परकोटा के करीब 70 एकड़ भूमि पर भगवान वाल्मीकी, केवट, माता शबरी, जटायु, माता सीता, गणेश, लक्ष्मण जी के मंदिर निर्माण की भी योजना है।

मंदिर और प्राचीर निर्माण का ठेका मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो एल एंड टी के पास है।

टाटा कसंल्टेंट इंजीनियर्स परियोजना के प्रबंध सलाहकार हैं।

CHAMPAT RAI JI

स्वयं प्रेरणा से जगदीश आफले आईआईटी मुंबई, गिरीश सहस्त्रभुजनी आईआईटी गोवा, जगन्नाथ औरंगाबाद और अविनाश संगमनेकर नागपुर से ट्रस्ट को सहयोग कर रहे हैं।

चम्पत राय जी, महामंत्री – राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने जानकारी दी है – सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की रक्षा, संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए श्री राम जन्मभूमि आने वाली पीढ़ियों के लिए मील का पत्थर है।

देश की राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक स्वतंत्रता और अखंडता के लिए यह निर्माण ऐतिहासिक साबित होना है।
– भूपत सिंह बिष्ट

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