सुरकंडा देवी दर्शन अब रोप वे से सिर्फ पांच मिनट की दूरी !
सुरकंडा देवी रोप वे प्रोजेक्ट प्रा लि ने एक किमी की खड़ी चढ़ाई को अब हर उम्र के श्रद्धालुओं के लिए सुगम बना दिया।
सुरकंडा देवी दर्शन अब रोप वे से सिर्फ पांच मिनट की दूरी !
सुरकंडा देवी रोप वे प्रोजेक्ट प्रा लि ने एक किमी की खड़ी चढ़ाई को अब हर उम्र के श्रद्धालुओं के लिए सुगम बना दिया।
उत्तराखंड की सिद्धपीठ देवी स्थलों में मसूरी धनोल्टी मार्ग पर माँ सुरकंडा देवी की बड़ी महिमा है।
नवरात्र हों या गंगा दशहरा माँ सुरकंडा के दरबार में हजारों तीर्थयात्रियों का मेला जुटता है।
जौनपुर क्षेत्र के लिए माँ सुरकंडा भगवती ईष्ट देवी के रूप में पूजनीय हैं।
नव विवाहिता हो या परिवार में मुँडन जैसे शुभ कार्य माँ के दरबार में हर सफलता की
कामना के साथ स्थानीय लोग हाजिरी लगाते हैं।
धनोल्टी घूमने आने वाले देशी – विदेशी पर्यटक भी सुरम्य सुरकंडा देवी स्थल पर
पहुंचकर अपनी यात्रा सफल मानते हैं।
सुरकंडा देवी से हिमालय के सभी प्रमुख हिमशिखर एक सीध में नज़र आते हैं।
देवदार, चीड़, बांज, बुरांस के जंगल और हरित घाटियां नैसर्गिक अनुभव कराती हैं।
कद्दूखाल बाजार से सुरकंडा मंदिर तक की दूरी लगभग एक किमी खड़ी चढ़ाई है।
पहले अनेक श्रद्धालु घोड़ा करके मंदिर तक पहुंचते थे और मार्ग पर गंदगी भी फैलती थी।
विगत एक मई को युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सतपाल महाराज ने
सुरकंडा देवी रोप वे प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया है।
आने – जाने का किराया दो सौ पांच रूपये प्रति यात्री तय है। सुबह नौ बजे से सांय पांच बजे तक
रोप वे सुविधा दर्शनार्थियों को सुलभ है।
पावर फेल होने की स्थिति में रोप वे को चलाने के लिए भारी क्षमता के जैनरेटर भी लगाये गए हैं।
दो स्टेशन और पांच टावरों पर संचालित सुरकंडा रोप वे परियोजना में एक बार में तीन केबिन ऊपर
जाते और तीन नीचे की और आते हैं।
इस अवधि में बीच मार्ग पर भी छह केबिन रहते हैं। एक केबिन की क्षमता छह यात्रियों के लिए है।
एक चक्र में 9 केबिन ऊपर और 9 केबिन नीचे की ओर आते हैं। केबिन का निर्माण
चीन की टियनमा कंपनी ने किया है।
फिलहाल अब तक एक बार रोप वे में तकनीक खामी कुछ देर के लिए हुई – जब इस में
अतिथि विधायक सवार थे। फिर पूरी तकनीकी जांच के बाद रोप वे पुन: देवी भक्तों के लिए खोल दी गई है।
अब उत्तराखंड के दुर्गम पर्यटक स्थलों श्री केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब यात्रा
के लिए भी रोप वे परियोजना पर काम जारी है।
जोशीमठ से औली, मसूरी गनहिल, कैंपटीफाल और भट्टाफाल टूरिस्ट स्थलों पर
रोप वे की सुविधा वर्षों पहले से सुलभ है।
श्रद्धालु इन रोप वे यात्रा के दौरान नयनाभिराम दृश्यों का भी आनंद उठा रहे हैं और उत्तराखंड पर्यटन
विश्व मानचित्र पर सुविधाओं के साथ उभर रहा है।
– भूपत सिंह बिष्ट