हरबंसवाला चाय बागान देहरादून में शुद्ध शहद उत्पादन !
शहद के अलावा मोम और मधु मक्खियों के डंक का दवा में उपयोग लाभकारी है।

हरबंसवाला चाय बागान देहरादून में शुद्ध शहद उत्पादन !
शहद के अलावा मोम और मधु मक्खियों के डंक का दवा में उपयोग लाभकारी है।
सहारनपुर के मौन पालक विगत दस वर्षों से अपनी मधु मक्खियों को देहरादून की
आबो हवा खिलाने आ रहें हैं।
उत्तराखंड सरकार पंचायत स्तर पर युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराने के लिए 80 फीसदी
सब्सिडी उपलब्ध कराती है।
मधु ग्राम योजना के तहद प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को एक लाख रुपये की लागत से बीस
मौन पालन बक्से उपलब्ध कराये जाते हैं और अस्सी हज़ार की सब्सिडी के बाद उन्हें
बीस हजार लौटने होते हैं।
सहारनपुर के मौन पालन विशेषज्ञ उस्मान बताते हैं कि देहरादून की आबो हवा और
वनस्पति शहद उत्पादन के लिए बड़ी मुफीद है।
विगत दस वर्षों से वह हरबंसवाला टी स्टेट में अपनी मधु मक्खियों को ला रहें हैं।
इस बार 110 शहद की पेटियों में 400 किलो से ज्यादा शहद उत्पादन हुआ है।
300 रूपये प्रति किलो के हिसाब से स्थानीय लोग उनका शहद ख़ुशी से खरीद रहें हैं।
शहद के अलावा मोम और मधु मक्खियों के डंक का दवा में उपयोग लाभकारी है।
रानी मक्खी इटली मूल की होने के कारण हर मौसम में इनका स्थान परिवर्तन जरुरी है।
उस्मान इन्हें अप्रैल से जून तक देहरादून में रखते हैं और बरसात की फसल के लिए
हरियाणा या हिमाचल ले जाते हैं।
मधु मक्खियों का जीवन चक्र पूर्णता विज्ञान पर आधारित है। चाय बागान के फूलों के अलावा
लीची , शीशम ,जामुन , सफेदा , बॉटल ब्रुश , कीनू जैसे 60 -70 वनस्पतियों के परागण से
शहद निर्मित होता है।
वनस्पतियों को इसके एवज़ में बम्पर नई उपज मिलती है। मौन पालन खादी विलेज इंडस्ट्रियल बोर्ड
की महत्वकांक्षी परियोजना है। यह भारत में लगभग सौ सालों से चल रही है।
माना जाता है कि पहले देश में विदेशी शहद का आयात किया जाता था। इटली मूल की रानी
मक्खियों ने शहद उत्पादन में क्रांति ला दी है और अब हम शहद का निर्यात करने वाले देशों
में शामिल हैं – जिसका श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को है।
शुद्ध शहद भी मौसम की ठण्ड में जमता है लेकिन शहद के धार की तार जितनी भी पतली
हो टूटती नहीं हैं। घर – घर शहद बेचने वाले ब्रांडेड शहद के आगे अपनी शुद्धता को साबित
करने में सफल नहीं हो रहें सो उनको अपना शहद आढ़तियों को बेचने की मजबूरी है।
प्रस्तुति – भूपत सिंह बिष्ट द्वारा ।