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जोशीले सुर, तबले व ढोलक की थाप पर झूमा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का सभागार !

मोहन वीणा के सजीले सुरों से पंडित विश्व मोहन भट्ट ने किया परम्परा - 2022 का शुभारंभ ।

जोशीले सुर, तबले व ढोलक की थाप पर झूमा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का सभागार !

मोहन वीणा के सजीले सुरों से पंडित विश्व मोहन भट्ट ने किया परम्परा – 2022 का शुभारंभ ।

टीएमयू की 21वीं वर्षगांठ पर आयोजित कल्चरल फेस्टिवल-परम्परा 2022 की शुरूआत पदम भूषण से सम्मानित विश्व मोहन भट्ट ने मोहन वीणा पर राग विश्व रंजनी से की।

उनके साथ उस्ताद सलील भट्ट ने संगत करते हुए समां बांध दिया। इन दोनों की जुगलबंदी के बीच तबले पर अभिषेक मिश्रा की ताल का हर कोई कायल हो गया।

सुर और ताल की इस महफिल में राजस्थानी सूफी गायक एवं पदमश्री सम्मानित उस्ताद अनवर खां ने चार चांद सजा दिए।

अपनी जोशीली आवाज में केसरिया बालम पधारो म्हारे देस गीत ने सभागार को राजस्थानी रंगीले जोश से भर दिया। सावन के मौसम पर राग देस में बालम जी म्हारा झिलमिल बरसे मेघ सुनाया।

ढोलक पर फिरोज खान और कुफला खान ने खड़ताल बजाकर दर्शकों में जोश से भर दिया।  इन वाद्य यंत्रों का संगम देख सभागार में मौजूद मेहमान और मेजबान मंत्रमुग्ध हो गए।

दीप प्रज्ज्वलन के संग कल्चरल फेस्टिवल- परम्परा 2022 का शंखनाद  जिला पंचायत अध्यक्षा, मुरादाबाद डॉ. शैफाली सिंह के संग-संग तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सुरेश जैन, गांधी पब्लिक स्कूल के ट्रस्टी अशोक सिंघल आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रकाशित किया।

पदमभूषण एवं मोहन वीणा वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट बोले – हमारा घराना 300 सालों से संगीत सेवा के पुण्य कार्य में तल्लीन है।

पंडित भट्ट ने कहा, जो रंजन करे, वह राग है। रागों के इतिहास पर बोले, रागों की शुरुआत 5,000 वर्ष से भी प्राचीन है।

प्रसिद्ध लोक गायक पदमश्री उस्ताद अनवर खान ने राम भजन सुनाकर संगीत की गंगा-जमुनी तहजीब से सभी को भाव विभोर कर दिया।

शास्त्रीय संगीत में हर अवसर के लिए हजारों लोकगीत हैं लेकिन अब नई पीढ़ी का जुड़ाव इनसे कमजोर हो रहा है। आज की जीवनशैली में लोकगीत – संगीत का जागरण आवश्यक हो गया है।
पदचिह्न टाइम्स।

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