घाटी के पैरों पहनाता है नूपुर, नश्वर न होता है प्रकाश – डॉ गिरिजा शंकर त्रिवेदी !
आज भी उत्तराखंड में ही नहीं सारे साहित्य जगत में अपनी स्मृति गंध की सुवास से अभिभूत करने में सर्वसमर्थ साहित्य है।
घाटी के पैरों पहनाता है नूपुर, नश्वर न होता है प्रकाश – डॉ गिरिजा शंकर त्रिवेदी !
आज भी उत्तराखंड में ही नहीं सारे साहित्य जगत में अपनी स्मृति गंध की सुवास से अभिभूत करने में सर्वसमर्थ साहित्य है।
- डॉ सुधा पांडे, पूर्व, कुलपति।
स्वनामधन्य साहित्यसृष्टा ,कवि गीतकार डॉ गिरिजा शंकर त्रिवेदी ऐसे ‘ज्योति रथ ‘के संवाहक रहे !
जिन्होंने सांस्कृतिक विरासत के सुदृढ़ सोपानों मनोरम सुकुमार गीतों , सार्थक संदेश भरी कविताओं के साथ समृद्ध गद्य का वैभव आज भी उत्तराखंड में ही नहीं सारे साहित्य जगत में अपनी स्मृति गंध की सुवास से अभिभूत करने में सर्वसमर्थ साहित्य है।
साहित्य साधना के ‘ज्योतिरथ पर आरूढ़ ‘ इस कृती सृष्टा के गीतों का ‘स्यंदन’ अनवरत मधुर संगीत स्वरों सा स्मृति पथ में झंकृत है।
“घाटी के पैरों पहनाता है नूपुर,
नश्वर न होता है प्रकाश
न स्वर ही
संदेश एक महाकाव्य का हो ,
या एक सूक्ति का
खंडित नहीं होता”
ऐसे सार्थक संदेश सुनाती कविता के अमर गायक डॉ गिरिजा शंकर त्रिवेदी की जयंती पर स्मरण सहित शत शत अभिनन्दन।।
डॉ सुधा पांडे, पूर्व, कुलपति।
पदचिह्न टाइम्स।