उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 62 बसंत पूरे किए !
खैरासैण गांव से मुख्यमंत्री तक का सफर - कांग्रेसी मूल के नेताओं के आगे हमेशा अपनी ठसक से रहे ।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 62 बसंत पूरे किए !
खैरासैण गांव से मुख्यमंत्री तक का सफर – कांग्रेसी मूल के नेताओं के आगे हमेशा अपनी ठसक से रहे ।
20 दिसंबर 1960 को पौड़ी जनपद के खैरासैण में जन्में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड राजनीति में अपने विशिष्ट तेवर के लिए मशहूर हैं।
प्रारंभिक शिक्षा जयहरीखाल, लैंसडाउन के विख्यात सैनिक बोर्डिंग स्कूल में हुई।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और लैंसडाउन, श्रीनगर गढ़वाल में तहसील प्रचारक का दायित्व संभाला।
देहरादून में महानगर प्रचारक बने। लखनऊ में कुछ समय नौकरी करने के बाद बीजेपी संगठन मंत्री के रूप में उत्तरांचल में काम किया।
उत्तरांचल राज्य आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय पांचजन्य साप्ताहिक
के लिए ( पौड़ी गढ़वाल हलूणी के) सिक्ख नेगियों का विवरण एकत्रित कराने में मेरी बड़ी सहायता की।
ताकि उधमसिंह नगर को उत्तरांचल में शामिल करने की विरोधी सोच को
एतिहासिक तथ्यों से शांत कराया जा सके।
उत्तरांचल राज्य बनने के बाद 2002 में डोईवाला विधानसभा से विधायक चुने गए।
2007 में दुबारा डोईवाला विधानसभा से विधायक चुने गए। बीजेपी की पहली सरकार में कृषि मंत्री
का दायित्व मुख्यमंत्री जनरल खंडूडी और रमेश पोखरियाल निशंक की कैबिनेट में मिला।
2012 के चुनाव में असफलता मिली और पुन: बीजेपी संगठन में राष्ट्रीय सचिव की भूमिका
और झारखंड के प्रभारी बनाये गए।
2017 में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। विधानसभा की 70 सीटों में बीजेपी ने 57 सीट जीतकर इतिहास रच दिया।
अमित शाह ने संघ पृष्ठभूमि के अपने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाकर सब को चकित किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी कैबिनैट में शामिल पूर्व कांग्रेसी नेताओं और मंत्रियों को सरकार पर हावी नहीं होने दिया।
केंद्रिय विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के प्रोफेसर बताते हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हमेशा
एक दबंग नेता के रूप में जाने जाते हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने ना तो कभी प्रेशर राजनीति के आगे समझौता किया और ना ही दबाव में मंत्री परिषद में खाली पद भरे।
कांग्रेसी मूल के नेता बाद में मनचाहे विभाग पाने में सफल रहे हैं लेकिन त्रिवेंद्र रावत के दौर में सिर्फ त्रिवेंद्र रावत की ही चलती रही।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के मित्र और ऋषिकेश के उद्यमी बताते हैं कि त्रिवेंद्र रावत उन
गिने चुने नेताओं में हैं जो एक बार निर्णय लेते हैं तो नफा नुक्सान की परवाह नहीं करते हैं।
उन के निर्णय देवस्थानम बोर्ड को लेकर चार धाम की बेहतर व्यवस्था से जुड़े थे।
गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाना त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्रीकाल की सबसे बड़ी उपलब्धी रही है।
सत्रह साल के लंबित मामले को त्रिवेंद्र ने दमदार निर्णय लेकर सुलझाया।
भले ही गैरसैण कमिश्नरी का निर्णय बाद की सरकारों ने वापस कराया लेकिन राजधानी के विकास के लिए गैरसैण को जिला और कमिश्नरी देर सवेर बनाना ही पड़ेगा।
उत्तराखंड की राजनीति में त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी ठसक के लिए अलग से पहचाने जाते हैं।
बिना लाग लपेट बातचीत करने और निर्णय की परवाह न करने वाले राजनीतज्ञ त्रिवेंद्र दा की राजनीति अभी काफी बाकि है।
त्रिवेंद्र रावत की धर्मपत्नी शिक्षिका हैं और उन की दोनों बेटियां आर्थिक निर्भर हो चुकी हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री के 62 वें जन्म दिवस पर अनेक स्थानों पर सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट