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समान नागरिक संहिता – यूसीसी उत्तरांचल विधानसभा में पेश !

विवाह पंजीकरण अनिवार्य, हर धर्म में तलाक के लिए समान कानून, लिव इन रजिस्ट्रेशन न कराने पर 6 माह की सजा ।

समान नागरिक संहिता – यूसीसी उत्तरांचल विधानसभा में पेश !

विवाह पंजीकरण अनिवार्य, हर धर्म में तलाक के लिए समान कानून, लिव इन रजिस्ट्रेशन न कराने पर 6 माह की सजा ।

 

आज समान नागरिक संहिता अधिनयम  विधानसभा पटल आने के बाद

उत्तराखण्ड देश का पहला ये कानून लागू करने वाला प्रदेश बनने जा रहा है।

इस बिल का सदन में पारित होना तय है। जरूरत पड़ने पर इसे अनुमोदन के लिए

राष्ट्रपति के पास  भेजा जा सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने वायदे के अनुरूप देवभूमि में यूसीसी लागू करने की

ओर निर्णायक कदम उठाया है।

समान नागरिक संहिता अधिनयम 2024 का ड्राफ्ट 202 पेज – हर पहलू पर विचार विमर्श

करने के बाद तैयार किया गया है।
इस ड्राफ्ट में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही

शामिल किया गया है।

वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन हर धर्म के जोड़े को

अनिर्वाय रूप से अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा।

अन्यथा वे सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने से वंचित रहेंगे।
दूसरा, तलाक के बगैर कोई व्यक्ति दूसरी शादी नहीं कर पाएगा। ऐसा करने पर उसे कारावास 

या अर्थ दण्ड या फिर दोनो भुगतने होंगे।

यदि कोई नागरिक विवाह पंजीकरण कराने में अनदेखी करता है या यूसीसी नियमों की

अनदेखी करता है तो अधिकतम 25000- रूपए  के अर्थदण्ड का भागी होगा।
उप निबंधक भी जानबूझकर संहिता में निहित कार्यवाही करने में विफल होता है तो वह भी

अधिकतम 25000 रुपये के अर्थदण्ड का भागीदार होगा।

 

विवाह, तलाक एवं विवाह की शून्यता के पंजीकरण के लिए एक सरकारी तंत्र

बनाया जाएगा।
जिसमें महा निबंधक सचिव स्तर, निबंधक उपजिलाधिकारी एवं उप निबंधक

राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी होंगे।
नागरिकों के पास सूचना का अधिकार की तर्ज पर रजिस्ट्रेशन को लेकर

अपील का अधिकार भी होगा।

संहिता में मेहर, प्रभूत, स्त्रीधन या कोई अन्य सम्पत्ति जो पत्नी को उपहार स्वरूप दी

गई है – वह भरण पोषण के दावे में सम्मिलित नहीं होकर अतिरिक्त होगी।
5 वर्ष से कम आयु के बच्चे की अभिरक्षा अधिकांशता  माता के पास रहेगी।

संहिता में बच्चों की अभिरक्षा के अन्तर्गत बच्चों का हित सर्वोत्तम एवं कल्याण

सर्वोपरि होगा।

विवाह विच्छेद के लिए किसी भी पक्ष को हिंसा, क्रूरता, कम से कम दो वर्ष तक

अलगाव, धर्म परिवर्तन, विकृत चित, निरन्तर मानसिक विकार, संचारी यौन रोग,

लगातार 7 वर्ष तक किसी पक्ष के जीवित रहने की सूचना नहीं होने का आधार

प्रभावी किया गया है।
विवाह विच्छेदन की कार्यवाही अनुतोष एवं आपसी सहमति से ही जा सकेगी।

विवाह विच्छेदन (तलाक) संहिता में प्राविधानिक प्रक्रिया के अनुसार ही संभव

होगा। पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार होंगे।

लिव-इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी होगा। लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं

कराने पर 6 माह  कारावास की सजा होगी।
लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।

— भूपत सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार

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