हरीश रावत का उत्तराखंडियत का दाव पहाड़ पर कितना असरकारक !
मोदी की चुनावी लहर या उत्तराखंड में कांग्रेस का क्षत्रप हरीश रावत - 14 फरवरी को तय होना है।
हरीश रावत का उत्तराखंडियत का दाव पहाड़ पर कितना असरकारक !
मोदी की चुनावी लहर या उत्तराखंड में कांग्रेस का क्षत्रप हरीश रावत – 14 फरवरी को तय होना है।
उत्तराखंड विधानसभा की 20 प्रतिशत यानि 14 विधानसभा सीटें अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत कुमायूं मंडल के पहाड़ी जिलों में हैं।
पिछली बार कांग्रेस का इन जनपदों में सफाया होने से बच गया और इस बार बीजेपी ने टिकट बदलकर बगावती सुरों को भी झेलना है।
बागेश्वर और चंपावत जिलों में दो – दो सीट हैं और चारों सीट पिछली बार बीजेपी के साथ रही हैं।
चंपावत की लोहाघाट सीट पिछली बार पूरन सिंह फर्तियाल ने 834 वोट के अंतर से जीती और कांग्रेस के खुशाल सिंह अधिकारी दूसरे स्थान पर रहे।
इस बार दोनों दलों ने पुराने प्रत्याशियों को ही टिकट दिए हैं।
चंपावत में बीजेपी के कैलाश चंद गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को लगभग दुगने मतों से हराया है।
वोटिंग 66 प्रतिशत हुई – बीजेपी ने 63 और कांग्रेस को मात्र 33 फीसदी वोट मिले।
बागेश्वर में कफ्कोट सीट पर बीजेपी ने सीटिंग विधायक बलवंत भौर्याल का टिकट काट कर सुरेश गड़िया को दिया है। बीजेपी पिछली बार यहां 6 हजार वोट से जीती है।
कांग्रेस के प्रत्याशी ललित मोहन फरस्वाण को 36 फीसदी और बसपा को 6964 वोट मिला है।
कुल वोट 62 फीसदी रहा है – ऐसा लगता है पहाड़ में वोटिंग का बढ़ना परिवर्तन ला सकता है।
बागेश्वर सुरक्षित पर बीजेपी की पकड़ अधिक मजबूत है। पिछली बार बीजेपी के चंदन राम दास को 51 फीसदी, कांग्रेस 29 और बसपा 17 फीसदी वोटों पर सिमट गई।
इस बार कांग्रेस ने रणजीत दास पर दाव लगाया है।
अल्मोड़ा की 6 सीटों पर बीजेपी को टिकट बदलने के कारण गुटबाजी व अंतर्कलह देखने में आ सकती है।
द्वारहाट सीट पर विधायक महेश नेगी महिला प्रकरण में अपना टिकट गंवा बैठे हैं। बीजेपी ने यह सीट पिछली बार 44 फीसदी वोट हासिल कर कांग्रेस के मदन बिष्ट को 29.5 और यूकेडी के पुष्पेश त्रिपाठी को 14 फीसदी पर रोक दिया।
इस सीट पर निर्दलीय भी वोट खींच रहे हैं सो इस बार बीजेपी ने अनिल शाही को पूर्व विधायकों के मुकाबले उतारा है।
सल्ट सीट बीजेपी के खाते में रही है। विधायक सुरेंद्र जीना कोविड के शिकार हुए तो उन के भाई महेश जीना उपचुनाव में कांग्रेस को हराने में सफल रहे।
इस बार रणजीत रावत रामनगर से सल्ट सीट पर लौटे हैं और पिछली बार 3 हजार से हारी सीट को जीतकर सरकार बनाने में योगदान करना चाहेंगे।
रानीखेत सीट पर पिछली बार करन माहरा ने सांसद और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट को 5 हजार वोट से हराया है।
इस बार बीजेपी ने पिछली बार के निर्दलीय प्रमोद नैनवाल को टिकट देकर कांग्रेस के करण माहरा के सामने उतारा है।
सोमेश्वर सुरक्षित सीट पर बीजेपी की रेखा आर्य का कड़ा मुकाबला फिर राजेंद्र बराकोटी से है।
पिछली बार बहुचर्चित रेखा आर्य मात्र 710 वोट से जीत पायी हैं।
अल्मोड़ा सीट पर बीजेपी ने अपने विधायक रघुनाथ चौहान का टिकट काटकर कैलाश शर्मा को उतारा है।
बीजेपी ने यह सीट 5 हजार से जीती है और कांग्रेस ने मनोज तिवारी को फिर से टिकट दिया है।
जागेश्वर सीट पर कांग्रेस के गोवांद सिंह कुंजवाल विजयश्री प्राप्त करते आ रहे हैं। जीत का अंतर पिछली बार घटकर 400 तक रह गया है।
बीजेपी ने यहां टिकट बदलकर मोहन सिंह मेहरा को दिया है।
पिथौरागढ़ की धारचूला सीट बीजेपी अब तक नहीं जीत पायी है। हरीश धामी पिछली बार तीन हजार वोट से जीते हैं।
हरीश रावत इसी सीट से उपचुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बने थे।
इस बार बीजेपी ने धन सिंह धामी को उतारा है।
डीडीहाट सीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता बिशन सिंह चुफाल का दबदबा बना हुआ है। पिछली बार चुफाल ने निर्दलीय किशन सिंह भंडारी को 2300 वोटों से हराया। कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही।
गंगोलीहाट सीट पर बीजेपी ने सीटिंग विधायक मीना गंगोला का टिकट काटकर फकीर राम टमटा को उतारा है।
यह सीट कांग्रेस ने 800 वोटों से हारी है और पिछली बार 20 प्रतिशत वोट हासिल करने वाले निर्दलीय खजान चंद्र गुड्डू को मैदान में उतारा है।
पिथौरागढ़ से बीजेपी के स्वर्गीय प्रकाश पंत कांग्रेस के मयूख महर से 2700 वोटों से जीते। उपचुनाव में उनकी शिक्षिका पत्नी चंद्रा पंत विजयी रही।
चंद्रा पंत का मुकाबला मयूख महर से है।
पहाड़ की विधानसभा सीटों में भीतर घात से लेकर गुटबाजी और वोटर टर्न आउट 14 फरवरी को आगामी सरकार का संकेत देने वाले हैं।
बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री का गणित, पार्टी में वरिष्ठता क्रम और गढ़वाल मंडल नेताओं के दायित्व में कटौती का अंडर करंट का असर कांग्रेस की पिछली विधानसभा की 11 सीटों में कितनी बढ़ोतरी करता है – इन के जवाब पांचवी विधानसभा के चुनाव परिणाम में मिलने हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट