हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी निसंदेह बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती !
पांच दिन बाद कांग्रेस ने खोले द्वार, मजबूरी है अपने बागी और विपक्ष के दिग्गजों को कांग्रेस में समेटे।
हरक सिंह ने दोहराया है कि मैं बिना शर्त कांग्रेस में शामिल हुआ हूँ और मेरा एक ही लक्ष्य है – बीजेपी सरकार की उत्तराखंड से विदाई हो।
हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी निसंदेह उत्तराखंड राजनीति में बड़ी घटना है और बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत जुमले को खोखला साबित करती है।
हरक सिंह रावत को उत्तराखंड राजनीति में अर्श तक पहुंचाने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका है।
बीजेपी ने हरक का इस्तेमाल 2016 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार गिराने में किया।
हरक सिंह रावत बीजेपी सरकार में एक मात्र ऐसे कैबिनेट मंत्री रहे हैं – जो अधिकारियों पर भारी साबित हुए। कोटद्वार मैडिकल कालेज और कार्बेट पार्क में कंडी रोड़ का निर्माण गढ़वाल – कुमायूं के बीच सीधी सड़क हरक की बड़ी उपलब्धियां बनी हैं।
दो बार लैंसडाउन, रूद्रप्रयाग और कोटद्वार विधानसभा के चुनाव में अजेय बनकर हरक सिंह रावत ने रिकार्ड बनाया है।
रमेश पोखरियाल निशंक, जनरल खंडूडी, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत, धन सिंह रावत उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव हार चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत डोईवाला से चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। जबकि कयास लगाये जा रहे हैं कि हरक सिंह रावत डोईवाला या सहसपुर से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत तमाम हथकंडे परवान नहीं चढ़ पाए हैं।
ऐसे में हरक सिंह रावत का महत्व कांग्रेस भलीभांति जानती है। हरीश रावत की तल्खी भी इतिहास में दफ्न हो चुकी है। हरक सिंह रावत के कांग्रेस में लौटने से गढ़वाल मंडल में पार्टी मजबूत होती दिख रही है।
बीजेपी में गढ़वाल मंडल के नेता हासिये में जा चुके हैं। मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के पद पर अब कुमायूं के नेता काबिज हैं और प्रदेश अध्यक्ष हरिद्वार से मदन कौशिक पर दाव खेला गया है।
14 फरवरी को होने वाले मतदान में हरक सिंह रावत बीजेपी को कितना नुक्सान देते हैं – यह 15 मार्च को पता चलेगा।
पदचिह्न टाइम्स।