उत्तराखंड चुनाव 2022 मोदी लहर के बिना बीजेपी डांवाडोल !
पहाड़ी जनपदों में कांग्रेस ने अपनी चुनौती बढ़ायी है – बीजेपी ने कांग्रेसियों को टिकट देकर अपनी कमजोरी जाहिर की।
पौड़ी गढ़वाल की छह सीटों पर इस बार रोचक मुकाबला है। बीजेपी के चार मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूडी, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत पौड़ी जनपद से हैं लेकिन हाईकमान ने इन नेताओं को अब पीछे कर दिया है।
पूरा चुनाव अभियान दिल्ली पर आश्रित हो गया है।
2017 के चुनाव में जनरल खंडूडी की बेटी रीतु खंडूडी ने बीजेपी के टिकट पर यमकेश्वर में कांग्रेस की बागी निर्दलीय रेनु बिष्ट को 9 हजार वोटों से हराया। कांग्रेस के शैलेंद्र बिष्ट तीसरे स्थान पर रहे।
इस बार रीतु खंडूडी को कोटद्वार शिफ्ट कर बीजेपी ने रेनु बिष्ट को टिकट दिया है। यमकेश्वर में बीजेपी का संभावित वोट अब 68 प्रतिशत लगता है।
यहां कांग्रेस के शैलेंद्र बिष्ट को 23 प्रतिशत से वोट बैंक बढ़ाकर जीत हासिल करने के लिए ऐड़ी – चोटी का प्रदर्शन करना है।
पौड़ी सुरक्षित सीट से बीजेपी ने अपने विधायक को बदला है। इस सीट पर दो बार कांग्रेस एक बार निर्दलीय और पिछली बार बीजेपी ने जीत हासिल की है।
बीजेपी के राजकुमार पोरी का मुकाबला कांग्रेस के नवल किशोर से है।
श्रीनगर गढ़वाल से 2017 में धन सिंह रावत ने गणेश गोदियाल को 7700 वोटों से हराया लेकिन 2012 के चुनाव में वो गणेश गोदियाल से मात खा चुके हैं।
अब की बार गणेश गोदियाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। गणेश गोदियाल एक बार निशंक को भी चुनाव हरा चुके हैं।
बीजेपी का दारोमदार यहां मोहन काला की प्रफोर्मेंस पर टिकी है।
चौबट्टाखाल सीट पर सतपाल महाराज ने बीजेपी के टिकट पर कांग्रेस को 7400 वोटों से हराया है।
इस बार मुकाबला कांग्रेस के युवा केसर सिंह नेगी से है। केसर सिंह नेगी युवाओं में ” किशोरी भाई” के रूप में लोकप्रिय और पौड़ी के जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं।
केसर सिंह नेगी बीजेपी से 2017 तक जुड़े रहे हैं सो बीजेपी के कार्यकर्ताओं में खासे लोकप्रिय हैं। क्षेत्र में फुटबाल, क्रिकेट और सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय केसर सिंह नेगी सतपाल महाराज को उन के घर में चुनौती दे रहे हैं।
लैंसडाउन सीट पर दलीप सिंह रावत निरंतर दो बार से विधायक है। दो बार हरक सिंह रावत कांग्रेस के टिकट पर यहां से विधायक रह चुके हैं।
इस बार हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुंसाई रावत का सीधा मुकाबला बीजेपी से है।
कोटद्वार सीट से विधायक रहे हरक सिंह रावत अब कांग्रेस में लौट आयें हैं। अब गढ़वाल में बीजेपी को चुनौती दे रहे कांग्रेसी नेताओं की संख्या और आधार बढ़ा है।
कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी मुख्यमंत्री जनरल खंडूडी को हरा चुके हैं। मोदी लहर में 40 प्रतिशत से ज्यादा वोट पा चुके नेगी कांग्रेस के मजबूत स्तंभ हैं।
टिहरी जनपद की छह विधानसभा क्षेत्रों में देवप्रयाग में विगत चुनाव में 82 हजार वोटरों में मतदान मात्र 53 प्रतिशत ने किया।
बीजेपी के विनोद कंडारी ने 13 हजार 824 मत लेकर विधायकी प्राप्त की। इस चुनाव में यूकेडी के फील्ड मार्शल दिवाकर भट्ट 10,325 और मंत्री प्रसाद नैथाणी को 8,742 मत तक सिमट गए। मुकाबला 15 प्रत्याशियों के बीच था।
इस बार फिर वही चेहरे हैं – युवा विनोद कंडारी और बीजेपी की साख दाव पर है।
प्रताप नगर सीट पर बीजेपी के विजय सिंह पंवार चुने गए। यहां कांग्रेस के विक्रम सिंह नेगी दो हजार से कम वोट से हार गए।
बीजेपी को 37, कांग्रेस को 32 प्रतिशत मिले।
राजेश्वर पैन्यूली 13 और मुरारी लाल ने 9 प्रतिशत वोट हासिल किए।
टिहरी सीट पर बीजेपी के धनसिंह नेगी ने निर्दलीय दिनेश धनै को छह हजार आठ सौ मतों से हराया और दस प्रतिशत मत पाकर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही।
बीजेपी ने अपने विधायक का टिकट काटकर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को उतारा है। अब धन सिंह नेगी कांग्रेस के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं।
नरेंद्र नगर सीट पर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए सुबोध उनियाल का परम्परागत मुकाबला ओम गोपाल रावत से है।
युवा ओम गोपाल रावत पिछली बार निर्दलीय 19,132 वोट पा गए और पहले सुबोध उनियाल को हरा चुके हैं। अब कांग्रेस के टिकट पर ओम गोपाल रावत कड़ी टक्कर देने की स्थिति में हैं।
पिछली बार घनसाली सीट पर बीजेपी के शक्ति लाल शाह ने बारह हजार की लीड लेकर निर्दलीय धनी लाल शाह और कांग्रेस के भीम लाल आर्य को पराजित किया।
इस सीट पर 49 प्रतिशत मतदान हुआ और 9 प्रत्याशी मैदान में थे। इस बार निर्दलीय धनी लाल शाह कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी का मुकाबला कर रहे हैं।
धनोल्टी सीट पर निर्दलीय प्रीतम सिंह पंवार ने बीजेपी के नारायण सिंह राणा को हराया। प्रीतम पंवार को 36, बीजेपी को 33 और कांग्रेस को 25 फीसदी वोट हासिल हुए थे।
प्रीतम पंवार के अब बीजेपी में शामिल होने से यहां कांग्रेस के जोत सिंह बिष्ट के लिए कड़ा मुकाबला है। बागी पूर्व विधायक महावीर रांगड़ बीजेपी के वोट बैंक पर कितनी सैंध लगा पाते है – यह 10 मार्च को साफ होगा।
— भूपत सिंह बिष्ट