नामांकन का आज आखिरी दिन लोकसभा चुनाव उत्तराखंड 2024 !
हिमाचल में कांग्रेस के 6 बागी विधायक उपचुनाव के लिए पा गए बीजेपी टिकट ।
लोकसभा 2024 के पहले चरण के लिए नामांकन आज पूरा हो रहा है।
मतदान 19 अप्रैल को होना है।
बीजेपी ने जय श्री राम, अब की पार 400 पार और मोदी सरकार तीसरी बार के
नारों के साथ धूमधाम से नामांकन किए हैं।
गढ़वाल लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अनिल बलूनी का प्रदर्शन
अब तक अव्वल रहा – उन की नामांकन रैली में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी शामिल हुई।
गढ़वाल सीट अब हाई कमान के लिए प्राथमिक सूची में है।
अल्मोड़ा सीट पर अजय टमटा और टिहरी गढ़वाल सीट पर श्रीमती माला राज्य लक्ष्मी शाह
अपना नामांकन दे चुकी हैं। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, क्षेत्रीय विधायक
और पूर्व मुख्यमंत्री ने इस में मुख्य भूमिका निभायी।
हरिद्वार लोकसभा सीट पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले आन लाइन नामांकन दाखिल किया
और फिर मंगलवार जुलूस के साथ आफ लाइन नामांकन प्रक्रिया संपन्न की।
नैनीताल – उधम सिंह नगर पर बीजेपी के अजय भट्ट अंतिम दिन आज शक्ति प्रदर्शन
के साथ नामांकन करेंगे।
पिछले दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तराखंड में 5-0 से हारती आ रही है।
इस बार कांग्रेस प्रत्याशी चार सीटों पर आज अपने नामांकन अंतिम दिन दाखिल करेंगे।
गढ़वाल लोकसभा से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, हरिद्वार से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे
वीरेंद्र सिंह रावत, अल्मोड़ा सुरक्षित से प्रदीप टमटा और नैनीताल से प्रकाश पंत
कांग्रेस प्रत्याशी बनकर नामांकन जमा करेंगे।
टिहरी लोकसभा के लिए कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला नामांकन करा चुके हैं।
उत्तराखंड के चुनावों में हरीश रावत के परिजन कांग्रेस के लिए अभी तक
अनिवार्य बने हुए हैं। राहुल टीम के युवा प्रकाश पंत इस बार भाग्य अजमाने केंद्रीय मंत्री
अजय भट्ट के सामने उतरे हैं।
उधर कांग्रेस के 6 बागी विधायक राज्यसभा में बीजेपी के लिए मतदान कर
अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
कांग्रेस के इनदलबदलू पूर्व विधायकों को बीजेपी ने उपचुनाव में टिकट देने की
घोषणा की है। तब से बीजेपी में इन बागियों की खिलाफत शुरू हो गई है।
विधानसभा स्पीकर ने अभी 3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं
सो हिमाचल में लोकसभा चुनाव के साथ आगामी 1 जून को सातवें और अंतिम चरण में
विधानसभा की 6 सीटों पर भी उपचुनाव होना है।
विधायकों के निरंतर दल बदल करने से उपचुनाव का अनावश्यक खर्च , कोर्ट विवादों में बढ़ोतरी,
नेताओं की सुचिता और लोकतंत्र के प्रति चिंता व्यापत हैं।
हिमालयी राज्य उत्तराखंड और हिमाचल में बीजेपी और कांग्रेस दल मुख्य प्रतिद्वंदी
की भूमिका में हैं और क्षेत्रीय दल नेता और संसाधनों की कमी के चलते प्रभावी नहीं हैं।
पदचिह्न टाइम्स।