जलवायु परिवर्तन ने किया जीना मुहाल अब मौसम के प्रकोप से बचें !
बेमौसम बरसात , अतिवृष्टि , कम बर्फ़बारी, सूखा और गर्मी के प्रकोप ने प्रकृति का संतुलन बिगाड़ा।
जलवायु परिवर्तन ने किया जीना मुहाल अब मौसम के प्रकोप से बचें !
बेमौसम बरसात , अतिवृष्टि , कम बर्फ़बारी, सूखा और गर्मी के प्रकोप ने प्रकृति का संतुलन बिगाड़ा।
उत्तराँचल प्रेस क्लब में जलवायु परिवर्तन को लेकर क्लाइमेट ट्रेंड्स ने आज एक सेमिनार
आयोजित किया। उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में बढ़ते तापमान का पर्यावरण और आर्थिकी को
लेकर चिंता व्यक्त की गई।
गुंजन जैन ने बताया की अब मौसम में परिवर्तन और कम बारिश या लगातार बारिश से मौसम
विभाग के आंकड़ों के साथ जनजीवन में भी परिवर्तन दर्ज हो रहा है।
भले ही बादल फटने और भूमि धसाव की खबरें सीमित क्षेत्र से आ रहीं हैं लेकिन अब जलवायु
परिवर्तन की जद में राज्य , देश और महाद्वीप आ चुके हैं।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हाइड्रोलॉजी , रूड़की की वैज्ञानिक डॉ अश्विनी रानाडे ने चिंता
वर्षा और बर्फ़बारी के घटते आंकड़ों पर चिंता जाहिर की। भले ही उत्तराखंड के कुछ इलाकों
में तेज और निरंतर बारिश दर्ज रही है लेकिन मानसून के आंकड़े पूरे प्रदेश को लेकर
चिंता जनक हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण अब प्रदेश में मानसून की एकरूपता नहीं है। कहीं अतिवृष्टि
बादल फटने और बाढ़ जैसे लगती है और कहीं सूखे के हालात वर्षा ऋतु में बन रहें हैं।
डॉ राजेंद्र सिंह नेगी ने आगाह किया की समय रहते जलवायु परिवर्तन से निपटने की
तैयारी जरुरी है। अन्यथा इस के दुष्परिणाम उत्तराखंड के जनजीवन को दूभर कर देंगे।
एक स्थान पर अतिवृष्टि के होने से खेती की उर्वरता और बाग बगीचों की मिट्टी बहकर
निकल जाती है।
उत्तराखंड में खेती विहीन भूमि में मिट्टी की उर्वरता बहने की सम्भावना अधिक है।
जलवायु परिवर्तन के कारण उपग्रह चित्रों में टिहरी और रुद्रप्रयाग भूमि धसाव की
जद में है। भविष्य में ऋषिकेश से लेकर श्रीनगर तक का इलाका जलवायु परिवर्तन
की चपेट में आने वाला है और इसका कारन अवैज्ञानिक निर्माण कार्य बनेगें।
डॉ भट्ट ने कहा – जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का कालचक्र बदला है सो
कास्तकारों और बागवानों को मौसम बदलाव के अनुरूप फसल और फलदार वृक्षों
का चयन करना जरुरी है।
ग्लेशियर के अंधाधुंध पिघलने से आने वाली पीढ़ियों को पानी की कमी हो सकती है और
पहाड़ में रेगिस्तान बनने शुरू होंगे। तापमान के अचानक बढ़ने और कम होने से शारीरिक
बिमारियों की आशंका बलवती हुई हैं।
उत्तराँचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष अजय राणा ने जलवायु परिवर्तन की चिंता करने के लिए
वैज्ञानिकों का अभिनन्दन किया और इस वैश्विक चिंता के लिए निरंतर चिंतन करने का
आह्वान भी किया।
सेमिनार में कपिल जोशी एडिशनल चीफ कंज़र्वेटर ऑफ़ फोरेस्ट तथा डॉ बिक्रम सिंह, डायरेक्टर,
उत्तराखंड, मौसम विज्ञान भारत सरकार किन्ही कारणों से शामिल नहीं हो पाये।
- भूपत सिंह बिष्ट