जय बदरीविशाल : चारधाम में टूरिस्ट नहीं, तीर्थयात्री का स्वागत कीजिए !
अब बदरिकाधाम में सनातन पूजा - पाठ और अध्यात्म संरक्षण युक्त पर्यटन नीति में सुधार की आवश्यकता।
जय बदरीविशाल : चारधाम में टूरिस्ट नहीं, तीर्थयात्री का स्वागत कीजिए !
श्री बदरिकाधाम में सनातन पूजा – पाठ और अध्यात्म संरक्षण युक्त पर्यटन नीति में सुधार की आवश्यकता – पुरोहित विनोद कोटियाल।
देवभूमि उत्तराखंड में प्रदेश सरकार तीर्थयात्रा को प्रोत्साहित करने के बजाय
पर्यटन को प्रोत्साहित करती दिखती है।
सनातन श्री बदरीनाथ धाम जैसे तीर्थस्थलों पर अध्यात्म और पवित्रता अक्षुण्ण रखने के
लिए पर्यटकों को आने की अनुमति न हो।
यदि कोई व्यक्ति सनातन तीर्थस्थलो में आने की इच्छा रखता है – तो उसे शुद्घ
आचरण और कुछ नियमों का पालन करना भी जरुरी हो।
प्रदेश सरकार को देवभूमि में तीर्थयात्रा की पवित्रता बनाये रखने के लिए
प्रोटोकॉल सुनिश्चित करना चाहिए ताकि तीर्थ की मर्यादा बनी रहे।
पावन धाम में तीर्थयात्रा की आवश्यक जानकारी अपने तीर्थ पुरोहितों से अवश्य लें।
बदरीनाथ धाम यात्री तप्त कुंड में स्नान के बाद ही भगवान बदरीनाथ का
पूजन एवं दर्शन करें।
तिरूपति देवस्थानम की तर्ज पर तीर्थस्थल में सिगरेट, तंबाकू,
नशा और शराब की उपस्थिति पर पूरी तरह से प्रतिबंध हो।
तीर्थ स्थानों में केवल भीड़ बढ़ाना सरकार का उद्देश्य नहीं होना चाहिए।
सनातन धर्म की मर्यादा मुख्य दायित्व रहे।
ऐसा आभास होता है – सरकार केवल पैसा कमाने की युक्ति कर रही है,
सारी मान्यताओं को जैसे ताक में रखा जा रहा है।
उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों के लिए इसे एक आदर्श व्यवहार और
समुचित व्यवस्था नहीं कहा जा सकता है।
जहां तक बदरीनाथ धाम महिमा की बात है सरकार पूर्ण रुप से असहाय है।
पुरोहित समाज ही यहां की जीवंतता को सदियों से बनाए हुए है लेकिन आज
तीर्थ पुरोहितों के अस्तित्व पर ही संकट आन पड़ा है।
पुरोहितों को अपनी पुश्तैनी जमीन – मकान से बेदखल होना पड़ रहा है।
बदरीनाथ पुरोहितों की मांग है – बेदखल की परिस्थिति में हमें, हमारे मकान के बदले
मकान तथा जमीन के बदले जमीन दी जाय।
अगर नारायणपुरी से हटाया जाना है तो बदले में जमीन को
दुगना कर दी जाय।
सम्मान जनक पुनर्वास के अभाव में बदरीश नारायण और पुरोहित समाज के दोषी,
तिरस्कार, अपयश, अन्याय और उत्पीड़न के भागीदार दीर्घकाल तक
सत्तासीन नहीं हो सकते हैं।
श्री बदरीनाथ धाम क्षेत्र का विकास और कायाकल्प पुरोहितों ने सम्मानजनक
पुनर्वास के बदले ही स्वीकार किया है।
जय बदरीविशाल।
— बदरीनाथ पंडा विनोद कोटियाल जी।