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महिला आरक्षण का इंतज़ार जनगणना और परिसीमन 2026 तक लटका !

 मोदी सरकार का नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 लोकसभा में अभूतपूर्व समर्थन से पारित - विशेष सत्र नई संसद  की उपलब्धि बना। 

महिला आरक्षण का इंतज़ार जनगणना 2021 और परिसीमन 2026 तक लटका !

 मोदी सरकार का नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 लोकसभा में अभूतपूर्व समर्थन से पारित – विशेष सत्र नई संसद  की उपलब्धि बना। 

 

भले ही 33 फीसदी महिला आरक्षण की तारीख तय नज़र नहीं आ रही ,

फिर भी देश के लोकतंत्र में महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ी पहल है। 

देश की संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई सांसद और विधायक महिला रहेंगी ,

ये व्यवस्था पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय साबित होगी। 

निसंदेह नारी शक्ति वंदन अधिनियम को नरेंद्र मोदी जैसे दमदार नेता ही पेश कर सकते हैं। 

राजीव गाँधी ने राजनीति में सबसे पहले महिला आरक्षण का मसौदा दिया। 

पंचायती राज और नगर निकाय में महिला आरक्षण से 15 लाख पदों पर महिला नेता 

स्थान पाने में सफल हुई। 

अब अगली कड़ी में संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई स्थान महिला आरक्षण हेतु कानून बनाकर 

दिए जा रहें हैं। 

विपक्ष इसे बीजेपी की चुनावी राजनीति बता रहा है।  लागू कराने में वर्षों लग सकते हैं। 

महिला सांसद श्रीमती हरसिमरत कौर बादल कहती हैं – बीजेपी महिला आरक्षण का लड्डू दिखा रही है  महिलायें इसे देख सकती हैं लेकिन खा नहीं सकती हैं। पहले जनगणना करा लेते और  परिसीमन हो 

जाता – फिर बिल पेश करते मगर लोकसभा चुनाव के जुमले बना रहें हैं। 

 

तृण मूल कांग्रेस की सांसद महुवा मैत्रो ने कहा – ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में बिना आरक्षण

महिलाओं को संसद और विधान सभा में 40 प्रतिशत स्थान दिया है। डेरेक ओब्रायन ने 

बीजेपी को चुनौती दी है – बिना बिल बीजेपी 33 फीसदी टिकट 2024 में महिलाओं को दे। 

जब  जनगणना और 2026 के परिसीमन के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होगा तब 

विशेष संसद सत्र  हड़बड़ी में बुलाने की क्या जरुरत थी। 

  • – भूपत सिंह बिष्ट 

 

 

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