नये संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी ने रचा इतिहास – महिलाओं हेतु विधायिका में 33 फीसदी स्थान !
नारी शक्ति वंदन का अभिनंदन बिल नई संसद में पेश - 28 साल लग गए आधी आबादी के हित में कानूनी जामा पहनाने में।
नये संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी ने रचा इतिहास महिलाओं हेतु विधायिका में 33 फीसदी स्थान !
नारी शक्ति वंदन का अभिनंदन बिल नई संसद में पेश – 28 साल लग गए आधी आबादी के हित में कानूनी जामा पहनाने में।
दिनेश शास्त्री सेमवाल स्वतंत्र पत्रकार की रिपोर्ट
आखिरकार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नई संसद में प्रवेश के साथ देश की
आधी आबादी को विधायिका में 33 फीसद आरक्षण देने का नारी शक्ति वंदन अधिनियम
पेश कर दिया है।
इस अधिनियम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर सब को हतप्रद कर किया है।
मोदी सरकार ने धारा 370 हटाने के बाद ये बड़ा साहसिक कदम
आधी आबादी के हित में उठा दिया है ।
और पहली बार प्रतीत हो रहा है कि देश की आधी आबादी को शायद इस बार
उसका नैतिक हक मिल जायेगा।
अब तक लोकतंत्र की निर्णय प्रक्रिया से दूर रखी गई मातृशक्ति को
इस पहल से नई सामर्थ्य और उर्जा मिलेगी।
जैसे कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है – यही समय है, सही समय है तो मानना चाहिए
कि इस बार 1996, 2008 और 2010 की तरह औपचारिकता नहीं होगी।
यदि इस बार विधेयक को फिर स्टैंडिंग कमेटी के सुपुर्द किया गया
तो लोग आगे से भरोसा भी नहीं करेंगे।
बीते 27 साल से यही तो होता आ रहा है। सीधी बात यह है कि राजनीति में सक्रिय
महिला आबादी अब इंतजार करने के लिए कतई तैयार नहीं है।
देशभर में मोदी सरकार की इस पहल का स्वागत हुआ है। हालांकि इसे लेकर
भी लोगों की नकारात्मक सोच होगी किंतु बहुसंख्य देशवासियों को इस
एक अदद फैसले ने हर्षित ही किया है।
खासकर उत्तराखंड – जिसे महिलाओं के संघर्ष से आकार मिला,
सर्वत्र इस विधेयक से प्रसन्नता की लहर झलक रही है। राजनीति में संजीदा लोगों ने
भी इस कदम की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है।
सहारा समय टीवी नेटवर्क की पॉलिटिकल एडिटर ज्योत्सना
कहती हैं – महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कदम मील का पत्थर सिद्ध होगा।
एसडीसी फाउंडेशन के प्रमुख अनूप नौटियाल मानते हैं – यह
बेहतर पहल है और आधी आबादी को उसका हक मिलेगा।
इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार भूपत सिंह बिष्ट कहते हैं – केंद्र सरकार ने इस मामले में
इच्छाशक्ति का प्रदर्शन कर आधी आबादी को हर्षित किया है।
इसके लिए उसे साधुवाद दिया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही में
सरकार की ओर से पेश पहला ही बिल आधी आबादी – महिलाओं को
संसद व विधानसभाओं में आरक्षण देने से जुड़ा है।
अधिक लोक लुभावन बनाने की दृष्टि से इसे ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’
नाम दिया गया है।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा पेश इस बिल में लोकसभा और विधानसभा
में 33 फीसद सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल दो बार के संसद हैं
और पूर्व आई ए एस अधिकारी रहें हैं। यानी अब लोकसभा और विधानसभा में
हर तीसरी सदस्य महिला होगी। यह एक बड़े बदलाव की आधारशिला है।
बताते चलें कि लोकसभा में इस समय 82 महिला सदस्य हैं। इस विधेयक
के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें रिजर्व हो जाएंगी।
इस विधेयक में संविधान के अनुच्छेद- 239AA के तहत राजधानी दिल्ली की
विधानसभा में भी महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
यानी, अब दिल्ली विधानसभा की 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए
आरक्षित रहेंगी। सिर्फ लोकसभा और दिल्ली विधानसभा ही नहीं, बल्कि बाकी
राज्यों की विधानसभाओं में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।
विधेयक में अभी महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान अभी मात्र 15 साल के लिए
किया गया है। अगले 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए एक बार फिर
से कसरत करनी होगी।
– दिनेश शास्त्री सेमवाल, वरिष्ठ पत्रकार।