इतिहासधर्म/ अध्यात्म/ ज्योतिषपर्यटन/ तीर्थाटनविविधसमाज/लोक/संस्कृति
Trending

धर्म दर्शन : नाग पंचमी पर विशेष ! सेम मुखेम नागराज उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल का एक प्रसिद्ध नागतीर्थ है।

सेम मुखेम धाम घोषणाएं तो बहुत हुई, धरातल पर नतीजा सिफर  — दिनेश शास्त्री ।

धर्म दर्शन : नाग पंचमी पर विशेष !

सेम मुखेम नागराज उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल का एक प्रसिद्ध नागतीर्थ है।

सेम मुखेम धाम घोषणाएं तो बहुत हुई, धरातल पर नतीजा सिफर
— दिनेश शास्त्री ।

पिछले करीब एक दशक से पांचवें धाम के रूप में निरूपित किए जा रहे सेम मुखेम की सुध न लिया जाना हैरान ही नहीं, परेशान करने वाला है। निसंदेह सेम मुखेम धाम के पैमाने पर हर दृष्टि से सौ फीसद खरा है। लेकिन विडंबना यह है कि यहां जमीन पर काम कम और हवा में ज्यादा बातें है। मण भागी सौड़ में किए गए कुछेक कार्यों को छोड़ दें तो स्थिति बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं करती। जबकि शोर इस कदर सुना जाता रहा है कि लगता था, सरकार अब कुछ करके ही रहेगी।

परम स्नेही मित्र भूपत सिंह बिष्ट जी के साथ सेम मुखेम धाम जाना हुआ, बहुत कुछ पिछली यात्रा से भिन्न नहीं रहा। मण भागी सौड़ में हेलीपैड पहले से बना है, अब जहां पर मैदान था, वहां कुछ अवस्थापनाएं उभरी हैं, एक मंच बना है और सोलर लाइट लगी हैं। एक कोने पर पर्यटन विभाग ने होटलनुमा कुछ बनाया है – बाकी रास्ता जैसा पहले था, आज भी वैसा ही है। इससे पहले मुखेम हो, दीन गांव हो या सदड़ गांव, सड़क इस कदर संकरी है कि सामने से कोई वाहन आ जाए तो जाम की सी स्थिति हो जाती है। अधिकांश जगहों पर यही स्थिति है।

 

मण भागी सौड़ के पास झील बनाने के बहाने खूब पैसा खर्च किया गया लगता है, वहां जल संरक्षण तो नहीं दिखता लेकिन पैसा खर्च करने का पर्याप्त सबूत उपलब्ध है।

यही नहीं जड़ी बूटी संरक्षण के नाम पर भी थोड़ी सी घेर बाड़ दिखती है, लेकिन वहां जड़ी बूटी के निशान ढूंढे नहीं मिलते। शायद यह कोई गुप्त विधि होगी, स्थानीय लोग भी इस बारे में नहीं बता पाते हैं। वहां लगे बोर्ड से संकेत जरूर मिल रहा है कि सुदूर गोपेश्वर के जड़ी बूटी शोध केंद्र का यह उप केंद्र है। हैरानी तब होती है, जब बड़े सपने दिखाए जाते हैं तो धरातल पर उसके कुछ निशान भी जरूर दिखाने चाहिए। दुर्भाग्य से यहां निराशा ज्यादा होती है।

 

 

सेम मुखेम नागराज उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल जिला में स्थित एक प्रसिद्ध नागतीर्थ है। श्रद्धालुओं में यह सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक में सुरम्य वन प्रांतर वाला सेम मुखेम धाम के मन्दिर का सुन्दर द्वार करीब 14 फुट चौड़ा तथा 27 फुट ऊँचा है। इसमें फन फैलाये नागराज की और भगवान कृष्ण नागराज के फन के ऊपर बंशी की धुन बजाने में लीन प्रतिमा उकेरी गई है।

मन्दिर में प्रवेश के बाद नागराजा के दर्शन होते हैं। मन्दिर के गर्भगृह में नागराजा की स्वयं भू-शिला है। ये शिला द्वापर युग की बतायी जाती है। मन्दिर के दाँयी तरफ गंगू रमोला के परिवार की मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। इनमें गढ़पति गंगू रमोला, उनकी रानी मैनावती तथा दोनों पुत्र सिधवा और बिधुवा की मूर्तियां हैं। नियम यह भी है कि सेम नागराजा की पूजा करने से पहले गंगू रमोला की पूजा की जाती है। मंदिर के पार्श्व में गढ़पति गंगू रमोला की अलग से एक अन्य प्रतिमा स्थापित की गई है। यह नई स्थापना है।

किंवदंती है कि इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण कालिया नाग का उद्धार करने आये थे। इस स्थान पर उस समय गंगु रमोला का अधिपत्य था। श्री कृष्ण ने उनसे यहां पर कुछ भू भाग मांगना चाहा लेकिन गंगू रमोला ने यह कह कर मना कर दिया कि वह किसी चलते फिरते राही यानी मांगने वाले याचक को जमीन नहीं देते। फिर श्री कृष्ण ने अपनी माया दिखाई तत्पश्चात गंगू रमोला ने इस शर्त पर कुटिया बनाने के लिए श्री कृष्ण को दे दिया कि वह हिमा नाम की राक्षस का वध करेंगे जिससे गंगू परेशान था। लोक मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने राक्षस का वध कर गंगू और उसकी प्रजा को भयमुक्त किया। वस्तुत यह लोक आस्था का विषय है, लेकिन इतिहास के पैमाने पर तथ्य मेल नहीं खाते, यह अलग से शोध का विषय है।

यहां मण भागी सौड के पास संचालित हो रहे कुलानंद आश्रम के अधिष्ठाता कुलानंद चमोली तपस्वी की भांति लोगों को सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं, वह अपने आप में सरकार को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है।

सेम मुखेम धाम के रावल महेंद्र सेमवाल की इस बात से असहमति का कोई कारण नहीं है कि धाम में बहुत ज्यादा अवस्थापना विकास की जरूरत नहीं है, जो कुछ करना है, जैसे श्रद्धालुओं की रहने ठहरने की व्यवस्था और बाजार आदि की सुविधा मुखेम गांव से लेकर मण भागी सौड़ तक किया जाय, लोग आएं और दर्शन करके जाएं, धाम में ठहरने की व्यवस्था जुटाने का मतलब सिर्फ प्रदूषण को बढ़ावा देना होगा, जो कि अभी तक हर तरह के प्रदूषण से बचा हुआ है।

अब तक कई सरकारें सेम मुखेम को पांचवां धाम घोषित कर वाह वाही बटोर चुकी हैं लेकिन घोषणा कब धरातल पर उतरेगी? इसका सभी को इंतजार है।
— दिनेश शास्त्री सेमवाल, देहरादून।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!