यादाश्त जाना अब लाइलाज बीमारी नहीं !
पांच प्रतिशत वरिष्ठ जन डिमेंशिया के शिकार तथा चिड़चिड़ाहट भी लक्ष्ण।
यादाश्त जाना अब लाइलाज बीमारी नहीं !
पांच प्रतिशत वरिष्ठ जन डिमेंशिया के शिकार तथा चिड़चिड़ाहट भी लक्ष्ण।
टीएमयू में मनोचिकित्सा विभाग ने विश्व डिमेंशिया दिवस पर गोष्ठी आयोजित की। वक्ताओं ने बताया कि 65 बरस तक के हर बीस लोगों में से एक को यह रोग हो रहा है। इस बीमारी में व्यक्तित्व में चिड़चिड़ाहट के लक्षण नज़र आता है।
तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल के मनोचिकित्सा विभाग में विश्व डिमेंशिया दिवस पर वक्ताओं ने कहा, डिमेंशिया-मनोभ्रंश एक ऐसा रोग हैं, जो उम्र वृद्धि के साथ होता है। हमारी भूलने की आदत बढ़ने लगती है।
डिमेंशिया या मनोभ्रंश एक मस्तिष्क रोग है, जो प्रायः याददाश्त की समस्याओं के साथ शुरू होता है l बाद में यह मस्तिष्क के और भागों को प्रभावित करने लगता है, इससे रोजमर्रा के कामों में कठिनाई ,संवाद में कठिनाई, निर्णय लेने की क्षमता या व्यक्तित्व में बदलाव होने लगते है।
जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, पीड़ित लोग परिजनों पर ज्यादा निर्भर होने लगते हैं । हालांकि 40 वर्ष की आयु में भी इसकी शुरुआत हो सकती है l 65 वर्ष की उम्र तक हर बीस में से एक व्यक्ति जबकि 80 वर्ष की उम्र तक हर पांच में से एक व्यक्ति को मनोभ्रंश हो सकता है l
बतौर प्रमुख वक्ता मनोचिकित्सक और विभागाध्यक्ष डॉ. एस. नागेन्द्रन और मेडिसिन विभाग के प्रो. जिगर हरिया ने कहा, अल्ज़ाइमर तो डिमेंशिया का सबसे प्रमुख कारण है। अल्ज़ाइमर रोग स्मृति और सोच में समस्या पैदा करता है।
पीड़ित व्यक्ति को हाल के घटनाक्रम और नियोजित मुलाकातें याद नहीं रहती है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति की जब लोग सहायता करते हैं तो वे क्रोधित होने लगते हैं।
अगर समय रहते इस रोग का निदान और इलाज कर लिया जाए तो रोगी को भूलने की बीमारी से बचाया जा सकता है। उन्होंने लोगों से निवेदन किया कि अगर उनके घर में ऐसे बुज़ुर्ग हैं, जो याददाश्त की बीमारी से जूझ रहे हैं तो शीघ्र से शीघ्र चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. प्रेरणा गुप्ता बोलीं, जिस तरह हमारे माता-पिता ने हमारा ख्याल रखा है, उसी तरह से जब वे बूढ़े हो जाते हैं, तो हमें उनकी बीमारी को समझना चाहिए। जितना हो सके, उतनी उनकी मदद करनी चाहिए। उन पर गुस्सा नहीं करना चाहिए या उन्हें अपशब्द नहीं बोलने चाहिए।
इस आयोजन का संचालन डॉ. सोनम सक्सेना और डॉ. प्रशांत सिंह ने किया । इस प्रोग्राम में डॉ. गजल गुप्ता, डॉ. शैली मित्तल, डॉ. अर्णव पुरी, डॉ. अकुल गुप्ता डॉ. अभिलक्ष्य मौजूद रहे तथा लोगों ने चिकित्सकों से बीमारी से सम्बंधित शंकाओं का समाधान भी पूछा ।
– श्याम सुंदर भाटिया