मातृभूमि और मातृभाषा को हमेशा प्यार करना है – राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु !
दो दिवसीय उत्तराखंड यात्रा में महामहिम देवभूमि की संस्कृति और संस्थानों का परिचय प्राप्त किया।
मातृभूमि और मातृभाषा को हमेशा प्यार करना है – राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु !
दो दिवसीय उत्तराखंड यात्रा में महामहिम देवभूमि की संस्कृति और संस्थानों का परिचय प्राप्त किया।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज दून विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
अपने उदबोधन में राष्ट्रपति ने कहा – आप दुनिया की कोई भी भाषा सीखें लेकिन अपनी मातृभाषा का सम्मान करें।
किसी भी पद पर रहे अपनी मातृभूमि को श्रद्धा तथा मातृभाषा को प्यार करना है।
भारत ने विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र दिया है सो अपने भीतर हमेशा भारतीयता को बनाए रखें।
इस के बाद राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में सिविल सेवा के
97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस फाउंडेशन कोर्स का मूल मंत्र ‘‘ मैं नहीं, हम हैं।’’
राष्ट्रपति ने कहा – प्रशिक्षुओं ने जो मूल्य सीखे हैं, उन्हें सैद्धांतिक दायरे तक सीमित नहीं रखना चाहिए।
देश के लोगों के लिए काम करते हुए उन्हें कई चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
जब अधिकारी समाज के हाशिए पर पड़े और वंचित वर्ग को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेंगे तो
निश्चय ही लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।
राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को लोगों से जुड़ने के लिए विनम्र होने की सलाह दी।
वे उनसे बातचीत कर , उनकी जरूरतों को समझ सकेंगे और उनकी बेहतरी के लिए काम कर सकेंगे।
राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों के इस बैच में 133 बेटियों के शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
हमारे देश के सर्वांगीण विकास के लिए महिलाओं और पुरूषों दोनों का योगदान महत्वपूर्ण हैं।
अधिकारी बेटियों से अपील की – अपनी सेवा के दौरान वह जहां भी रहें, लड़कियों को आगे
बढ़ाने के लिए विशेष प्रोत्साहित करते रहें।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी
इन कार्यक्रमों में राष्ट्रपति के साथ मौजूद रहे।
पदचिह्न टाइम्स।