आधी दुनिया/ महिला विमर्शधर्म/ अध्यात्म/ ज्योतिषविविध

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित परम पूज्य दलाई लामा ने पूरे किये 88 बसंत !

भारत में निर्वासित तिब्बती समाज और बौद्ध विहारों में अपने साक्षात ईश्वर के जन्म उत्सव की धूम।

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित परम पूज्य दलाई लामा ने पूरे किये 88 बसंत !

भारत में निर्वासित तिब्बती समाज और बौद्ध विहारों में अपने साक्षात ईश्वर के जन्म उत्सव की धूम।

 

मैं तिब्बती भाषा नहीं जानता, बस दो – चार शब्द सुनकर रट गए हैं।
सितंबर 2008 में भगवान शिव के निवास स्थल कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान

तिब्बत में लगभग दो हफ्ते रहने का अवसर मिला। मुझे लगता है – तिब्बती भगवान शिव के गण हैं। 

सातवीं कक्षा के दौरान 1971 में पहली बार धर्म गुरू दलाई लामा जी के बारे में

सुना – तब मेरी आयु 12 वर्ष की थी।

पहली सरकारी सेवा के दौरान 1983 में अरूणाचल प्रदेश के रूपा गाँव, वेस्ट कामेंग में पहली बार

तिब्बतियों और बौद्ध धर्म अनुयायी के साक्षात भगवान दलाई लामा को देखने का सौभाग्य मिला।

आज 14 वें पूज्य धर्मगुरू दलाई लामा का 88 वाँ जन्मोत्सव है।
बौद्ध धर्मगुरू पुर्नजन्म धारण करते हैं। 
परम पूज्य दलाई लामा भारत को अपने गुरू भगवान बुद्ध का देश मानकर तमाम बाधाओं के साथ

शरणार्थी जीवन का निर्वहन कर रहे हैं।

चीनी सत्ता से समझौता कर लेते तो तिब्बत में राजसी जीवन में रहते – अपनी तिब्बती संस्कृति

और बौद्ध परम्पराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हँसमुख छवि के दलाई लामा

विश्व शांति के लिए नोबुल पुरस्कार से अलंकरित हैं।

ईश्वर परम पूज्य 14 वें दलाई लामा को शतायु दें – उन की बाल सुलभ मुस्कान लिए चेहरा

हमें ताउम्र आशीर्वाद और सफलता प्रदान करता रहे।

मुझे भी लगता है – मेरा कुछ पिछले जन्म का संबंध अपने कैलाशवासी तिब्बतियों से अवश्य रहा होगा।
सभी मित्रों को पूज्य दलाई लामा जी के जन्म दिवस की ढेर सारी बधाई।

– भूपत सिंह बिष्ट

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!