आधी दुनिया/ महिला विमर्शधर्म/ अध्यात्म/ ज्योतिषसमाज/लोक/संस्कृति

माँ कामाख्या मंदिर गोहाटी में शक्ति स्वरूपा का अनुपम पूजन !

तंत्र और आस्था के संगम में डुबकी लगाने पूरा भारत अपनी विविधता के साथ जुटता है। 

माँ कामाख्या मंदिर गोहाटी में शक्ति स्वरूपा का अनुपम पूजन !

तंत्र और आस्था के संगम में डुबकी लगाने पूरा भारत अपनी विविधता के साथ जुटता है। 

 

ब्रह्मपुत्र नदी पर बसा असम का महानगर गोहाटी अपनी सनातन संस्कृति और विशिष्ट परंपरा के

लिए बहु चर्चित है।

तंत्र विद्या के उपासक माँ कामाख्या मंदिर गोहाटी में अपनी हाज़री लगाने गाहे – बगाहे जुटते हैं।

मनोकामना  की विनती करने और पूरी होने पर आरती – वंदन करने वाली महिलाओं की संख्या भी

कम नहीं हैं।

शक्ति स्वरूपा माँ कामाख्या को साधने और मनाने हर उम्र के लोग पहुँच रहें हैं।

मंगल और शनिवार को ये संख्या और बढ़ जाती है। माँ कामाख्या मंदिर में ऑनलाइन दर्शन के लिए

पोर्टल बनाया गया है।

इसमें शुल्क देकर सुबह या दोपहर बाद का समय बुक किया जा सकता है। अग्रिम बुकिंग के लिए

तिरुपति तिरुमला मंदिर के अनुसार पहले अपनी आई डी बनानी होती है और फिर अपनी जानकारी

और डॉक्यूमेंट एंट्री करने  होते हैं ।

अन्यथा समान्य दर्शन के लिए श्रद्धालु पहले एंट्री कूपन के लिए फोटो करवाते हैं। कामाख्या मंदिर में

ये व्यवस्था निशुल्क है और अनिवार्य है। मंदिर प्रवेश से ठीक पहके ये कूपन वापस जमा करना पड़ता है।

कूपन लेकर मंदिर पहुंचना है और तिरुपति दर्शन की तरह लाइन में लगकर पहले एक बड़े केबिन में

बिठाया जाता है और धीरे – धीरे पंक्ति में मंदिर की और बढ़ते हैं।

पंक्ति में तीन से चार घंटे बाद मंदिर में प्रवेश का मौका मिलता है।  ऐसे में छोटे बच्चों के

साथ मंदिर में आना ठीक नहीं है। मंदिर में साधना के लिए बकरे और कबूतर की बलि

चढ़ाने की परंपरा भी चली आ रही है।

कुछ भक्त इन प्राणियों को परिसर में मुक्त कर देते हैं। मंदिर के तालाब में नहाने और

आंचमन करने की परंपरा है।

कन्या को भोजन और भेंट देने का उपक्रम भी किया जाता है

लाइन में तिरुपति मंदिर की तरह पानी और प्रसाधन की व्यवस्था नहीं है।

हाकर नींबूपानी , चाय और फूल बेचते मिल जाते हैं।

मंदिर के भीतर पूरा परिसर लाल रंग से दमक रहा है। माँ कामाख्या को लाल रंग के फूलों की

माला अधिक चढ़ती हैं।  असमी भाषा में पुरोहित माँ का आह्वान करते हैं। मंदिर के मुख्य कक्ष में

फूलों के बीच माँ की स्वर्ण मूर्ति विराजमान हैं।

बाईं और परिक्रमा कर मूर्ति के पीछे  सीढ़याँ नीचे गर्भ गृह की और जाती हैं। यहाँ से श्रद्धालु

माँ कामाख्या मंदिर का जल संग्रह कर घर ले जाते हैं। धारणा है की नीलांचल पहाड़ी में स्थित

मंदिर में देवी माँ को मासिक धर्म होता है और मंदिर तीन दिन के लिए बंद रहता है।

अम्बुवाची – इस मेले में शामिल होने के लिए हज़ारों भक्त  माँ कामाख्या मंदिर पहुँचते  हैं।

शक्ति साधना के लिए भारत में माँ कामाख्या मंदिर के अलावा कलकत्ता के तारापीठ में दर्शन

के लिए आते हैं।

मान्यता है कि माता सती के  शरीर के 51 अंग जहाँ भी शिव के त्रिशूल से अलग होकर गिरे – वे

सभी स्थान शक्तिपीठ मानकर पूजे जाते हैं।  नीलांचल पहाड़ी में योनि -कुंड की उपासना कर माँ

कामाख्या का आशीर्वाद लिया जाता है।

  • भूपत सिंह बिष्ट

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!