अंग्रेजों ने बनाया शानन हाइड्रो प्रोजेक्ट अब हिमाचल – पंजाब में ठनी मुकदमेबाजी !
1932 में पंजाब के चीफ इंजीनियर कर्नल बेसिल कंडोन बैटी ने बनाया - भारत में पहला शानन हाइड्रो प्रोजेक्ट।
अंग्रेजों ने बनाया शानन हाइड्रो प्रोजेक्ट अब हिमाचल – पंजाब में ठनी मुकदमेबाजी !
1932 में पंजाब के चीफ इंजीनियर कर्नल बेसिल कंडोन बैटी ने बनाया – भारत में पहला शानन हाइड्रो प्रोजेक्ट।
हिमाचल प्रदेश की समृद्धि में मंडी जिले का विशेष योगदान है। इंग्लैंड शासनकाल में
तत्कालीन पंजाब के चीफ इंजीनियर कर्नल बेसिल कंडोन बैटी ने लाहौर, पंजाब और दिल्ली तक
बिजली आपूर्ति के लिए इंडिया में पहले हाइड्रो प्रोजेक्ट का सपना साकार किया।
मार्च 1925 में अंग्रेज सरकार की ओर से कर्नल बीसी बैटी ने मंडी के राजा जोगिंद्र बहादुर सेन के
साथ शानन विद्युत परियोजना को लेकर 99 साल का करार हस्ताक्षर किया।
इस इंजीनियरिंग कौशल को पूरा करने के लिए पठानकोट से जोगिंद्र नगर तक
रेल लाइन बिछायी गई।
बरोट में उहल नदी पर बैराज बनाने के लिए कर्नल बेटी ने पहाड़ की चोटी पर
लगभग 7 किमी तक ट्राली ट्रेन पहुंचायी। लोहे की तार से दो ट्रालियां एक समय में
एक ऊपर और दूसरी नीचे की ओर सरकती हैं।
कर्नल बैटी ने इस ट्राली की मदद से शानन और बरोट के बीच निर्माण सामग्री
और श्रमिकों की पहुंच को आसान बना दिया।
1932 में शानन विद्युत परियोजना, 48 मैगा वाट ने काम करना आरंभ कर दिया।
इस की बारह मैगा वाट की 4 टरबाइन हंगरी से आयात की गई थी।
बरोट बैराज से पहले टनल और फिर दो पैन स्ट्रोक पाइप द्वारा उहल नदी का पानी
तेज प्रवाह से पावर हाउस में टरबाइन घुमाने के लिए इस्तेमाल किए जाने लगा।
कर्नल बैटी इस जल धारा से 5 जल विद्युत परियोजना बनाना चाहते थे
लेकिन उनकी मृत्यु के बाद अन्य काम ठप हो गए।
शानन हाइड्रो प्रोजेक्ट की लागत 2 करोड़ 53 लाख 43 हजार 708 रूपये दर्ज है।
आजादी के बाद इस विद्युत परियोजना का मालिकाना हक पंजाब पावर कारपोरेशन
के पास है। 1982 में बीएचईएल के सहयोग से 50 मैगावाट की नई टरबाइन लगायी गई और
इस के लिए पानी सप्लाई हेतु तीसरी पाइप लाइन डाली गई है।
12 मैगावाट की टरबाइन अब 15 मैगावाट तक बढ़ा ली गई हैं और विद्युत उत्पादन क्षमता
प्रतिघंटा 110 मैगावाट प्राप्त हो चुकी है।
एक अनुमान के अनुसार शानन पावर प्रोजेक्ट 200 करोड़ प्रतिवर्ष की आय दे रहा है
यानि रोजाना 55 लाख की बिजली बनती है।
अब शानन पावर परियोजना का बाजार मूल्य 1800 करोड़ आंका जा रहा है।
पंजाब सरकार की लीज़ 2 मार्च 2024 को समाप्त हो चुकी है। सोने का अंडा देने
वाला पावर प्रोजेक्ट हिमाचल में स्थित है और पंजाब अपने सौ साल के कब्जे को
छोड़ना नहीं चाहता है।
सो हिमाचल की कांग्रेसी सुक्खू सरकार और पंजाब की आप -भगवंत मान सरकार के बीच
मुकदमे बाजी का दौर उच्च अदालत में पहुंच गया है।
शानन विद्युत परियोजना का रख रखाव अब ढीला पड़ चुका है। ट्राली की दूरी और
कर्मिकों की संख्या में कटौती चल रही है।
पर्यटकों के लिए अंग्रेजों द्वारा खड़े पहाड़ पर पटरी बिछाना और ट्राली चढ़ाने का
कौतुक 18 पांइट स्टेशन, विंच कैंप और हैड गेयर ट्राली कंट्रोल रूम दर्शन और
देवदार जंगल के बीच बरोट घाटी की ट्रेकिंग पसंदीदा अभियान बने हुए हैं।
– भूपत सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार।
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